नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण अधिकारियों को हलवा परोसते हुए।
केंद्रीय बजट 23 जुलाई को 2024-25 पेश किया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। बजट से संबंधित डॉक्यूमेंट्स की प्रिंटिग शुरू होने के साथ ही आज शाम (16 जुलाई) पारंपरिक हलवा सेरेमनी हुई। ये इवेंट दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक स्थित केंद्रीय वित्त मंत्रालय में हुआ।
इवेंट का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया गया है। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक बड़ी लोहे की कड़ाही में रखे हलवे के साथ दिख रही हैं। वित्त मंत्री ने मंत्रालय के अधिकारियों को हलवा परोसा। इस मौके पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत किशनराव कराड, पंकज चौधरी और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार बजट पेश करेंगी। वे ऐसा करने वाली देश की पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी। इससे पहले मोरारजी देसाई ने लगातार 6 बजट पेश किए थे। यह बजट नई सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा। फरवरी में सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था। बजट सत्र 22 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा।
कोविड-19 के कारण दो साल नहीं मनाई गई हलवा सेरेमनी
बजट को अंतिम रूप देने से पहले वित्त मंत्रालय में हलवा बनाया जाता है। यह रस्म लंबे समय से चली आ रही है। शुभ काम की शुरुआत मीठे से करना हलवा सेरेमनी मनाने की प्रमुख वजह है। साल 2021 और 2022 में कोविड-19 महामारी के कारण इस रस्म को नहीं निभाया गया था। इसकी जगह कोर कर्मचारियों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मिठाई दी गई थी।
बजट पेश होने तक नजर बंद रहेंगे बजट से जुड़े कर्मचारी
हलवा सेरेमनी के बाद बजट प्रिंट होने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके पेश होने तक प्रिंटिंग में शामिल सभी अधिकारियों और सपोर्ट स्टाफ को मंत्रालय में बंद कर दिया जाता है। इस दौरान अधिकारियों को अपने फोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है। बजट पेश होने तक वे अपने परिवार से भी नहीं मिल सकते हैं। इसका मकसद बजट को गोपनीय रखना होता है। 1950 में बजट की कॉपी लीक होने के बाद कर्मचारियों को नजरबंद (ऑफिस में ही रहने) रखने की परंपरा शुरू हुई थी।
टैक्स में राहत और किसानों पर फोकस रह सकता है यह बजट
- यह बजट मिडिल क्लास को टैक्स में छूट देने, महिला सशक्तिकरण, किसानों की आय बढ़ाने और रोजगार पर फोकस रह सकता है।
- स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 की जा सकती है।
- डिफेंस, रेलवे, इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में भी कई घोषणाएं हो सकती हैं।
- स्टार्टअप पर लगने वाले एंजल टैक्स को कम करने पर विचार कर सकती है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स सब-असेंबली और कंपोनेंट के लिए ₹40,000 करोड़ की PLI स्कीम की संभावना है।
- इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) 2.0 में संशोधन लाया जा सकता है।
- आंध्र प्रदेश को 1 लाख करोड़ का स्पेशल पैकेज मिल सकता है।
1 फरवरी 2024 को पेश हुआ था अंतरिम बजट
इस साल अप्रैल, मई में लोकसभा चुनाव होने थे, लिहाजा सरकार ने 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया था। निर्मला ने अपने बजट को गरीब, महिला, युवा और अन्नदाता यानी किसान पर फोकस किया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2024 को 58 मिनट की बजट स्पीच दी थी।
फुल और अंतरिम बजट होता क्या है? इनमें क्या अंतर है?
केंद्रीय बजट देश का सालाना फाइनेंशियल लेखा-जोखा होता है। यूं कहें कि बजट किसी खास वर्ष के लिए सरकार की कमाई और खर्च का अनुमानित विवरण होता है।
बजट के जरिए सरकार यह तय करने का प्रयास करती है कि आगामी वित्त वर्ष में वह अपनी कमाई की तुलना में किस हद तक खर्च कर सकती है। सरकार को हर वित्त वर्ष की शुरुआत में बजट पेश करना होता है। भारत में वित्त वर्ष का पीरियड 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।
वहीं अंतरिम बजट सरकार को आम चुनावों का फैसला होने और नई सरकार बनने के बाद फुल बजट की घोषणा करने तक, देश को चलाने के लिए धन उपलब्ध कराता है। अंतरिम बजट शब्द आधिकारिक नहीं है। आधिकारिक तौर पर इसे वोट ऑन अकाउंट कहा जाता है।
निर्मला नया रिकॉर्ड बनाएंगी, मोरारजी देसाई ने लगातार छह बार पेश किया था
निर्मला 23 जुलाई को बजट पेश करते ही लगातार सातवीं बार ऐसा करने वाली देश की पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी। इससे पहले मोरारजी देसाई ने लगातार छह बजट पेश किए थे। हालांकि मोरारजी ने सबसे ज्यादा 10 बार बजट पेश किया। उनके बाद पी. चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी ने 9 बार, यशवंत राव चव्हाण, सीडी देशमुख और यशवंत सिन्हा ने 7 बार बजट पेश किया। मनमोहन सिंह और टी. कृष्णमचारी 6 बार बजट पेश कर चुके हैं।
अब बजट की पूरी प्रोसेस को समझिए
1. सबसे पहले वित्त मंत्रालय एक सर्कुलर जारी कर सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थाओं को नए साल के लिए एस्टिमेट बनाने के लिए कहता है। उन्हें नए साल के लिए अनुमान देने के अलावा पिछले साल के खर्च और आमदनी का ब्योरा भी देना होता है।
2. एस्टिमेट मिलने के बाद केंद्र सरकार के आला अफसर उसकी पड़ताल करते हैं। इस पर संबंधित मंत्रालयों और व्यय विभाग के अधिकारियों की गहन चर्चा होती है। इसके बाद आंकड़ों को सिफारिशों के साथ वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाता है।
3. वित्त मंत्रालय सभी सिफारिशों पर गौर करने के बाद विभागों को उनके खर्च के लिए राजस्व का आवंटन करता है। राजस्व और आर्थिक मामलों का विभाग हालात को गहराई से समझने के लिए किसानों और छोटे कारोबारियों के प्रतिनिधियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों से संपर्क करता है।
4. प्री बजट मीटिंग में वित्त मंत्री संबंधित पक्षों के प्रस्ताव और मांगों को जानने के लिए उनसे मिलते हैं। इनमें राज्यों के प्रतिनिधि, बैंकर, कृषि विज्ञानी, अर्थशास्त्री और कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। प्री-बजट मीटिंग खत्म होने के बाद वित्त मंत्री सभी मांगों पर अंतिम फैसला लेते हैं। बजट को अंतिम रूप दिए जाने से पहले वित्त मंत्री प्रधानमंत्री से भी बात करते हैं।
5.बजट पेश होने से कुछ दिन पहले हलवा सेरेमनी होती है। एक बड़ी सी कढ़ाई में तैयार किया जाने वाला हलवा वित्त मंत्रालय के स्टाफ में बांटा जाता है। इसी के साथ बजट की छपाई प्रक्रिया शुरू होती है। प्रक्रिया में लगे अधिकारी और सपोर्ट स्टाफ बजट पेश होने तक मंत्रालय में ही रहते हैं। इस वित्त वर्ष के बजट की प्रिंटिंग नहीं हुई और संसद सदस्यों को उसकी सॉफ्ट कॉपी दी गई।
6.वित्त मंत्री आम बजट को लोकसभा में पेश करते हैं। 2016 तक यह फरवरी के अंतिम दिन पेश होता था। 2017 से यह हर साल 1 फरवरी को पेश होने लगा। इस साल पहली बार बजट के सभी दस्तावेज Union Budget मोबाइल पर उपलब्ध कराए गए।
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