रिलेशनशिप- शॉर्ट टर्म गोल्स से पूरे होंगे बड़े सपने:एक साथ 30 किमी दौड़ने से अच्छा रोज एक हजार कदम चलना, थोड़ा करें पर रोज करें
स्टोरी की शुरुआत एक सवाल से करते हैं। एक ऐसा सवाल, जो कमोबेश हर किसी के मन में उठता है।
पढ़ाई, करियर, पर्सनल लाइफ या किसी भी चीज को लेकर देखे गए बड़े सपने कैसे पूरे होंगे?
सीधे-सरल शब्दों में कहें तो इसके लिए प्रॉपर प्लानिंग और निरंतर मेहनत की जरूरत होती है, लेकिन आज हम एक आसान तरीके की बात करेंगे।
आप सोच रहे होंगे कि बड़े सपनों को पूरा करने के लिए बड़ी प्लानिंग करनी होगी। मुश्किल टास्क होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। अमेरिकी टाइम मैनेजमेंट कोच और ल्यूसमी कंसल्टिंग के फाउंडर मार्क पेटिट शॉर्ट टर्म यानी छोटे-छोटे लक्ष्यों को सफलता की चाबी बताते हैं।
क्या होता है शॉर्ट टर्म गोल, यह कैसे करता है काम
मार्क पेटिट की मानें तो शॉर्ट टर्म गोल्स आपकी मौजूदा स्थिति और आपके सपनों के बीच पुल का काम करते हैं। आज आप जहां खड़े हैं और भविष्य में जहां पहुंचना चाहते हैं, इनके बीच के अंतर को शॉर्ट टर्म गोल्स बनाकर आसानी से हासिल किया जा सकता है।
1 साल से कम का लक्ष्य शॉर्ट टर्म गोल
आमतौर पर 1 साल या उससे कम वक्त का लक्ष्य लेकर सेट किया गया गोल शॉर्ट टर्म गोल कहलाता है। हालांकि ज्यादातर लोग मंथली या वीकली गोल सेट करते हैं। कुछ लोग अगले 24 घंटे की प्लानिंग करने में भी यकीन रखते हैं। ये सभी शॉर्ट टर्म गोल्स हैं।
कहने को तो ये शॉर्ट टर्म गोल्स हैं। लेकिन जिंदगी और जिंदगी के बड़े लक्ष्य को हासिल करने में इनकी भूमिका काफी अहम है। यही वजह है कि पेटिट इन्हें बाकी गोल्स के मुकाबले ज्यादा अहमियत देते हैं।
छोटे-छोटे गोल्स पूरे करने से बड़ा कॉन्फिडेंस आता है। कोई भी टास्क मुश्किल नहीं लगता है। बड़े लक्ष्य आसान हो जाते हैं। भविष्य में बड़े सपनों को पूरा करने के लिए छोटे-छोटे गोल्स पूरे करना जरूरी हो जाता है। आसान भाषा में कहें तो शॉर्ट टर्म गोल्स ही वह सीढ़ी है, जिसके सहारे हम मीडियम, लॉन्ग या लाइफ गोल को हासिल कर सकते हैं।
छोटे-छोटे गोल्स से पूरे होंगे बड़े सपने
मान लीजिए, आप किसी एग्जाम को क्रैक करना चाहते हैं या हेल्थ को लेकर ज्यादा संदीजगी बरतना चाहते हैं। जाहिर सी बात है, ऐसे सपने रातों-रात पूरे नहीं होते।
अगर कोई इसे एक लक्ष्य के रूप में प्राप्त करने की कोशिश करे तो संभव है कि जल्दी ही वह इससे ऊब जाए और सपने को ही छोड़ दे। ऐसी स्थिति में मार्क पेटिट शॉर्ट टर्म यानी छोटे-छोटे गोल्स को महत्वपूर्ण बताते हैं।
उदाहरण के लिए एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करने वाला पहले 1 घंटे, फिर 2, 3, 4, 5 या इससे ज्यादा घंटे पढ़ने का संकल्प ले। शुरुआत आसान चैप्टर्स से करे। सप्ताह भर के लिए एक गोल निर्धारित करे, उसे पूरा करने के बाद नई ऊर्जा के साथ थोड़ा कठिन टास्क ले और उसे भी पूरा करे।
इसी तरह हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने को इच्छुक शख्स खुद को रातों-रात बदलने की जगह खुद में छोटे-छोटे बदलाव लाने की कोशिश कर सकता है। मसलन, पूरे महीने जिम जाने, वीकेंड पर फास्ट फूड से दूर रहने या समय से सोने-उठने जैसे आसान संकल्प लिए जा सकते हैं।
ऐसी स्थिति में शॉर्ट टर्म गोल्स बनाने वाला शख्स धीरे-धीरे अपने बड़े सपने की तरफ बढ़ता जाता है। एक मुश्किल टास्क छोटे-छोटे आसान टास्क में बंट जाता है।
मार्क पेटिट की मानें तो संकल्प सपने के पूरा होने तक बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि इच्छाशक्ति को जिंदा रखा जाए। पहले ही दिन किसी काम को लंबे समय तक जबरदस्ती करना ऊब पैदा कर सकता है। ऐसी स्थिति में शॉर्ट टर्म गोल्स मददगार साबित हो सकते हैं।
बड़ी शुरुआत से ज्यादा जरूरी है कॉन्टिन्यूटी
फिल्मी कहानियों में अक्सर ऐसा दिखाया जाता है, जब हीरो विलेन से बदला लेने के लिए फर्स्ट डे से जी-तोड़ मेहनत करने लगता है। फिर वह देखते-ही-देखते एक ताकतवर शख्स में बदल जाता है।
लेकिन फिल्मी दुनिया की यह अप्रोच असल जिंदगी में उस तरह से काम नहीं करती। मार्क पेटिट के मुताबिक शुरुआत में आप कितना काम करते हैं, इससे ज्यादा जरूरी है कि आप उस काम में कितनी कॉन्टिन्यूटी ला पाते हैं। शुरुआत में काम भले थोड़ा कम ही करें, लेकिन उसमें कॉन्टिन्यूटी लाने की कोशिश करें।
मनोवैज्ञानिकों की आम राय है कि कि अगर किसी टास्क को लगातार 4 सप्ताह यानी 28 दिनों तक करते रहें तो वह हमारे स्वभाव का हिस्सा बनने लगता है।
इसलिए जरूरी है कि संकल्प को पूरा करने के लिए शुरुआत में उसे बोझ की तरह न लिया जाए। थोड़ा-थोड़ा काम रेगुलर करके उसमें कॉन्टिन्यूटी लाई जाए। इस कवायद को अगर आप कम-से-कम 28 दिनों तक कर लेते हैं तो ज्यादा संभावना है कि आगे भी आप उस राह पर चलते रहेंगे।
फिर चाहे 8 किलोमीटर टहलने का संकल्प हो, रोज 7 घंटे पढ़ने का या और कोई भी संकल्प, उसके पूरा होने की संभावना बढ़ जाएगी। आपका मन उससे थकेगा नहीं और रोज सुबह उठकर आपको वो करने का मन करेगा।
100% रिजल्ट के लिए ‘50% एनर्जी ऑन फर्स्ट डे’
लाइफ गोल को पूरा करने के लिए शॉर्ट टर्म गोल्स बनाने जरूरी हैं। साथ ही इसके लिए ‘50% एनर्जी ऑन फर्स्ट डे’ की मनोवैज्ञानिक सलाह भी मददगार साबित हो सकती है।
इसके मुताबिक किसी काम में लंबे समय तक रुचि बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि सधी हुई शुरुआत की जाए। मान लीजिए कि कोई रोजाना वर्कआउट करने का गोल सेट करता है तो उसे पहले दिन इच्छा से लगभग आधा वर्कआउट ही करना चाहिए। ऐसी स्थिति में काम के प्रति रुचि बनी रहती है।
शॉर्ट टर्म गोल्स जिंदगी का हिस्सा और लाइफ गोल्स को पूरा करने में मददगार हों, इसके लिए जरूरी है कि इच्छाशक्ति बनी रहे। लंबे समय तक शॉर्ट टर्म गोल्स को पूरा करते रहने से ही हम लाइफ गोल को हासिल कर सकते हैं। जैसे ही शॉर्ट टर्म गोल्स को फतह करने का सिलसिला बंद होगा, हमें जीरो से शुरू करना पड़ सकता है।
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