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रिलेशनशिप- कुछ लोग शादी के नाम से डरते क्यों हैं:कहीं गामोफोबिया तो नहीं, इसी फोबिया के चलते सलमान खान ने नहीं की शादी

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रिलेशनशिप- कुछ लोग शादी के नाम से डरते क्यों हैं:कहीं गामोफोबिया तो नहीं, इसी फोबिया के चलते सलमान खान ने नहीं की शादी

कहते हैं कि डर सबको लगता है। लेकिन क्या हो अगर किसी को शादी-ब्याह से ही डर लगने लगे। घोड़े पर सवार दूल्हे या लाल जोड़े में सजी दुल्हन देखकर पसीने छूटने लगे।

आप सोचें रहे होंगे कि भला कहीं ऐसा भी होता है। इसका जवाब है, बिल्कुल होता है और मनोविज्ञान की भाषा में इसे ‘मैरिज फोबिया’ या ‘गामोफोबिया’ यानी शादी की कल्पना से होने वाला डर कहते हैं। 58 साल की उम्र में सलमान खान भी इसी फोबिया के कारण अभी भी बैचलर हैं।

सोशल मीडिया पर सलमान खान के पिता सलीम खान का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में सलीम सलमान के शादी न करने के फैसले पर अपनी राय दे रहे हैं।

सलीम खान कहते हैं कि सलमान आसानी से किसी रिश्ते में बंध जाते हैं, लेकिन शादी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। वे शादी की बात करने से हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें डर लगता है कि सामने वाले व्यक्ति में वो गुण और क्षमताएं नहीं होंगी, जो उनकी मां में हैं।

सलमान के जिस डर और चिंता की बात सलीम खान करते हैं, वह सीधे-सीधे मैरिज फोबिया से जुड़ा है। आज ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में इसी डर की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि इस डर से बाहर निकलकर रिश्ते की दुनिया में कैसे आगे बढ़ सकते हैं।

गामोफोबिया की स्थिति में दिख सकते हैं ये लक्षण-

  • रिश्ते में वादा करने, कमिटमेंट करने से कतराना।
  • भविष्य के बारे में बात करने से बचना।
  • लॉन्ग टर्म रिश्ते की जगह कैजुअल रिलेशनशिप को तरजीह देना।
  • शादीशुदा लोगों को कमतर समझना, उनके बारे में पूर्वाग्रह रखना।
  • रिश्ते में आने पर इंटिमेसी की कमी।
  • छोड़े जाने या ठुकराए जाने का डर।

यहां इस बात का भी ध्यान रखें कि ‘गामोफोबिया’ का मतलब यह नहीं है कि शख्स रिश्ते में ही नहीं जाएगा। बल्कि यह ऐसी स्थिति है, जिसमें शख्स रिश्ते में तो जाता है, लेकिन वह रिश्ते को किसी अंजाम तक पहुंचा पाने का साहस नहीं जुटा पाता और उस रिश्ते को किसी भी अच्छे-बुरे मोड़ पर छोड़ देता है। वह रिश्ते और पार्टनर को उतनी अहमियत, ऊर्जा, समय और कमिटमेंट नहीं दे पाता, जिसकी उम्मीद की जाती है।

सिर्फ शादी तक सीमित नहीं गामोफोबिया, हर रिश्ते के लिए खतरनाक

‘क्लीवलैंड क्लिनिक’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक गामोफोबिया सिर्फ और सिर्फ शादी से जुड़ा नहीं है। इससे जूझ रहे शख्स को किसी भी तरह का कमिटमेंट करने में दिक्कत आती है।

उसमें रिश्ते के अलावा काम को लेकर भी कमिटमेंट का कॉन्फिडेंस नहीं आ पाता। उसे लगता है कि वह उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाएगा या चीजें कंट्रोल के बाहर चली जाएंगी। इसलिए वह बहुत दूर की सोचना ही बंद कर देता है।

चूंकि शादी करने या किसी भी रिश्ते को लंबे समय तक चलाने की लिए कमिटमेंट की जरूरत होती है। ऐसे में गामोफोबिया से पीड़ित शख्स कभी इसके लिए मेंटली तैयार नहीं हो पाता। अगर ऐसा शख्स किसी के दबाव में आकर शादी कर भी ले तो रिश्ते को निभाने में तमाम गलतियों की गुंजाइश बनी रहती है।

इसके अलावा गामोफोबिया में पढ़ाई-लिखाई, करियर और सोशल रिश्ते भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर गामोफोबिया से जूझ रहे शख्स से दफ्तर में उसका बॉस किसी रिपोर्ट को पूरा करने में लगने वाला समय पूछे तो पूरी संभावना होगी कि वह शख्स कोई निश्चित डेट बताने के बदले कहे, ‘सर, मैं जल्दी-से-जल्दी’ करने की कोशिश करूंगा।’

फैमिली हिस्ट्री, सोशल ओरिएंटेशन और जेनेटिक्स हो सकती हैं वजह

आमतौर पर ऐसा होता है कि लड़के-लड़कियां बचपन से ही शादी के सपने संजोने लगते हैं। वे छोटी उम्र में गुड्डे-गुड़ियों की शादी कराते हैं। उनमें से ज्यादातर का सपना बड़ी उम्र तक बरकरार रहता है और वे इस सपने को पूरा भी करते हैं।

लेकिन कुछ लोग शादी से डरने क्यों लगते हैं? क्लीवलैंड क्लिनिक की मानें तो इसकी तीन वजहें हो सकती हैं-

1. फैमिली हिस्ट्री

2. सोशल ओरिएंटेशन

3. जेनेटिक्स

इसका मतलब है कि कुछ मामलों में यह डर वंशानुगत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होता जाता है। वहीं कई बार अपने आसपास खराब रिश्तों को देखकर जवान हुए बच्चों के मन में शादी को लेकर एक किस्म का डर पैदा हो जाता है, जो धीरे-धीरे गामोफोबिया का रूप ले लेता है और वे शादी से ही इनकार करने लगते हैं।

कैसे दूर होगा यह डर, गामोफोबिया में कैसे बजेगी शहनाई

मान लीजिए किसी को गामोफोबिया की समस्या है तो क्या उसे जीवन भर कुंवारा ही रहना पड़ेगा? ऐसा नहीं है। किसी को सलमान की तरह 58 साल की उम्र में इसका पता चलता है तो कुछ ऐसे भी हैं, जो समय रहते अपनी इस परेशानी को भांप लेते हैं।

अगर समस्या पकड़ में आ जाए तो कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी की मदद से इस पर काबू पाया जा सकता है।

कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी में पीड़ित शख्स को रोजमर्रा की कंडीशन में सोचने और रिएक्ट करने के तरीके सिखाए जाते हैं। इस थेरेपी में आपके सोचने के तरीके और आप जो करते हैं, उसे बदलने से आपको बेहतर महसूस कराने में मदद मिल सकती है। यह थेरेपी लोगों के सोचने के तरीके में बदलाव की कोशिश करती है और इसी माध्यम से शादी और लॉन्ग टर्म रिश्ते के डर को जीतने की कोशिश की जाती है।

ध्यान रहे- हर सिंगल शख्स गामोफोबिया का शिकार नहीं

पूरी कहानी पढ़ने के बाद हर कुंवारे शख्स को इस मुसीबत से निकालने और सही सलाह देने की सोच रहे हैं तो जरा ठहरिए। ध्यान रखिए कि शादी न करने या रोमांटिक रिश्ते से दूर रहने का एकमात्र कारण गामोफोबिया नहीं है।

शादी और रोमांटिक रिश्ते से दूर रहना किसी की पर्सनल चॉइस भी हो सकती है। अपने देश में तो आजीवन ब्रह्मचर्य जैसी परंपराएं भी रही हैं। काफी लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने किसी खास उद्देश्य की लिए आजीवन शादी न करने का फैसला किया। जाहिर सी बात है, यह गामोफोबिया नहीं।

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