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एक जैसे आदेश सिर्फ नाम, क्रम संख्या और मुरबे बदले, जांच से वन विभाग का नाम गायब

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एक जैसे आदेश सिर्फ नाम, क्रम संख्या और मुरबे बदले, जांच से वन विभाग का नाम गायब

बीकानेर

छत्तरगढ़ तहसील से एक जैसे आदेश निकाले गए। सिर्फ नाम, क्रम संख्या और मुरबे बदले। जांच से वन विभाग का नाम ही गायब कर दिया और पटवारी को राजस्व रिकॉर्ड में अमलदरामद करने के आदेश दे दिए।

छत्तरगढ़ में वन विभाग की चक 2 डीएलएम में 1200 बीघा जमीन को इसी तरीके से अराजीराज घोषित कर काश्तकारों को आवंटित करने की तैयारी की जा रही थी। उपखंड कार्यालय से लेकर तहसील तक कागज दौड़ रहे थे। यह पूरी कार्रवाई पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच हुई। वन विभाग की 1200 बीघा में से 12 बीघा जमीन जांच के बाद आठ काश्तकारों के नाम राजस्व रिकॉर्ड में अमलदरामद करने के आदेश तत्कालीन तहसीलदार ने जारी कर दिए। लेकिन तत्कालीन एसडीएम और प्रधान के बीच विवाद खड़ा होने से कार्यवाही को रोक दिया गया। पिछले दिनों छत्तरगढ़ में 6112 बीघा जमीन के फर्जी आवंटन का घोटाला उजागर हुआ तो वन विभाग की भी आंख खुली। वन अधिकारियों ने पुराने रिकॉर्ड देखे और उन्हें ऑन लाइन चेक किया तो उनके होश उड़ गए। उनकी 1200 बीघा जमीन खाता नंबर एक में दर्ज कर अराजीराज घोषित की जा चुकी थी। इसी प्रकार चक 1 आरएसएम में भी गड़बड़ी निकल आई। भास्कर ने मामले की पड़ताल की तो कुछ ऐसे दस्तावेज सामने आए, जिनमें तत्कालीन एसडीएम के आदेश क्रमांक 1588-1591 दिनांक 23 दिसंबर 2016 का हवाला देकर किसानों को आवेदन पत्र पर वन विभाग की जमीनों को आवंटन करने की तैयारी की जा रही थी। यहां तक की 100 बीघा रक्षित वन भूमि को भी नहीं छोड़ा। उसे भी बेचने की तैयारी थी। हालांकि अब यह पूरा रिकॉर्ड जब्त किया जा चुका है। इसकी विस्तृत जांच चल रही है।

तहसीलदार ने पटवारियों को दिए थे ऐसे आदेश

1. स्वीकृत नामांतरण 162 और 163 के तहत न्यायालय आदेश का हवाला देते हुए पहले चक 2 डीएलएम की आवंटनशुदा भूमि में से करीब 270 बीघा जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में अराजीराज दर्ज किया गया।

2. स्वीकृत नामांतरण 163 के न्यायालय आदेश की प्रतिलिपि जांचने पर पाया गया कि तत्कालीन तहसीलदार के आदेश 1150, 1151, 1153, 1155 की पालना में नामांतरण दर्ज करने के लिए पटवारी को रिपोर्ट करने को कहा।

3. स्वीकृत नामांतरण 162 के न्यायालय आदेश की प्रतिलिपि की जांच करने से पता चला कि उसमें तत्कालीन तहसीलदार के आदेश 1156, 1157, 1158 व 1159 की पालना में नामांतरण दर्ज करने के लिए पटवारी को रिपोर्ट करने को कहा।

जमीन वन विभाग की, फिर भी जांच नहीं

आदेश में लिखा था कि उक्त भूमि के संबंध में कोई विवाद, स्थगन, जोहड़ पायतन, नहर, सड़क, सार्वजनिक निर्माण विभाग, विपरीत आदि नहीं है तो उपखंड अधिकारी छत्तरगढ़ राजस्व रिकॉर्ड में अमलदरामद करते हुए पालना रिपोर्ट शीघ्र भेजें। ऐसे आदेशों में वन विभाग का नाम ही नहीं लिखा। मतलब, यह पता था कि जमीन वन विभाग की है। इसलिए उसकी जांच नहीं करनी है।

_photocaption_वन विभाग की 1200 बीघा जमीन (लाल घेरे ) में।*photocaption*

इन्वेस्टिगेशन

भूमि कमांड होने की तैयारी में ललचाए अफसर-दलाल

वन विभाग की चक 2 डीएलएम में 1200 बीघा जमीन अनकमांड रह गई है। इंदिरा गांधी नहर की मुख्य कैनाल से यह जमीन करीब डेढ़ किमी दूरी पर है। इसके दोनों तरफ दो माइनर भी हैं। इसलिए आसपास की पूरी जमीन कमांड है। सूत्रों का कहना है कि यह जमीन भी कमांड होने की तैयारी में थी। इसकी भनक राजस्व कर्मियों और दलालों को पहले पड़ चुकी थी। कमांड होने के बाद एक मुरबे की कीमत करीब एक करोड़ तक हो जाती। वर्तमान में इसकी कीमत 25 से 30 लाख रुपए है।

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