लद्दाख में टैंक नदी में फंसा, 5 जवानों की मौत:इनमें एक JCO भी; LAC के पास रात एक बजे नदी में पानी बढ़ने से हादसा हुआ
T-72 टैंक दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला टैंक है, इसे भारत में अजेय कहा जाता है।
लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में मिलिट्री एक्सरसाइज के दौरान 28 जून की रात एक JCO समेत 5 जवानों की मौत हो गई। ये जवान T-72 टैंक से श्योक नदी पार कर रहे थे। नदी में अचानक पानी बढ़ने की वजह से टैंक फंस गया और जवानों की मौत हो गई।
लेह की फायर एंड फ्यूरी 14 कॉर्प्स के मुताबिक, 28 जून की रात मिलिट्री एक्सरसाइज से लौटने वक्त ईस्टर्न लद्दाख के सासेर ब्रांगसा में आर्मी टैंक श्योक नदी में फंस गया। रेस्क्यू करने के लिए टीमें पहुंची, लेकिन नदी में तेज बहाव की वजह से जवानों को बचाया नहीं जा सका।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि, घटना शुक्रवार-शनिवार रात 1 बजे चीन सीमा से लगे LAC के चुशूल से 148 किलोमीटर दूर मंदिर मोड़ के पास हुआ। पांचों जवानों के शव बरामद कर लिए गए हैं।
हादसे में मारे गए जवानों के नाम रिसालदार एमआर के रेड्डी, दफादार भूपेंद्र नेगी, लांस दफादार अकदुम तैयबम, हवलदार ए खान, नागराज पी हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने X पर पोस्ट करके जवानों की मौत की खबर शेयर की है।
T-72 में तीन लोगों के बैठने की जगह, 5 जवान बैठे थे
आमतौर पर इस टैंक पर कमांडर, एक गनर और एक ड्राइवर होता है। प्रैक्टिस के दौरान इसमें 5 जवान सवार थे। रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि नदी के ऊपरी इलाके में बारिश के चलते पानी बढ़ गया। रात होने के चलते जवानों को इसका पता नहीं चल सका।
T-72 टैंक 5 मीटर (16.4 फीट) गहरी नदियों को पार करने की क्षमता रखता है। यह एक छोटे डायामीटर वाले स्नॉर्कल की मदद से नदी पार करता है।
इमरजेंसी के लिए इस पर सवार क्रू के सभी सदस्यों के रीब्रीदर दिया जाता है। अगर टैंक का इंजन पानी के भीतर बंद हो जाता है, तो इसे 6 सेकंड के भीतर फिर से चालू करना होता है। ऐसा नहीं करने पर कम दबाव होने के कारण T-72 के इंजन में पानी भर जाता है।
लद्दाख में पिछले साल 9 जवान शहीद हुए थे
लद्दाख में पिछले साल सेना की एक गाड़ी 60 फीट खाई में गिर गई थी। हादसे में 9 जवानों की मौत हो गई थी। सेना के इस काफिले में पांच गाड़ियां शामिल थीं। जिसमें 34 जवान सवार थे। इस हादसे में एक जवान घायल भी हुआ था। ड्राइवर के नियंत्रण खोने से ट्रक खाई में जा गिरा था।
T-72 को भारत में अजेय कहते हैं
वॉर प्रैक्टिस के दौरान T-72 टैंक- फाइल फोटो
जिस T-72 टैंक के साथ जवान प्रैक्टिस कर रहे थे, वह भारत में अजेय नाम से जाना जाता है। इसे 1960 में रूस में बनाया गया और 1973 में सोवियत सेना में शामिल किया गया था। यूरोप के बाद भारत ऐसा पहला देश था जिसने रूस से यह टैंक खरीदा था। भारतीय सेना में अजेय टैंक के तीन वेरियंट की कुल 2400 यूनिट शामिल हैं।
इस टैंक का वजन 45 टन के करीब है, जो 780 हॉर्सपावर जनेरेट करता है। इसे न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचने के लिए बनाया गया है। इसमें फुल एक्सप्लोसिव रिऐक्टिव आर्मर भी होता है। टैंक पर 12.7 एमएम एंटी एयरक्राफ्ट मशीन गन लगी हुई है, जिससे एक बार में एक साथ 300 राउंड फायर होते हैं। यह 1500 मीटर दूर बैठे दुश्मन पर सटीक निशाना लगा सकती है।
Add Comment