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बीकानेर ! साफ सफाई का इंतजाम यूआईटी के पास नहीं:यूआईटी के पास खुद की 36 कालोनी मगर सीवर सफाई के लिए मशीनें नहीं

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साफ सफाई का इंतजाम यूआईटी के पास नहीं:यूआईटी के पास खुद की 36 कालोनी मगर सीवर सफाई के लिए मशीनें नहीं

बीकानेर

यूआईटी के पास करीब 36 कालोनियां हैं। सुभाषपुरा, इंदिरा कॉलोनी, मुक्ताप्रसाद समेत दर्जनों पुरानी बसावट की कॉलोनियां हैं। दर्जनों कच्ची बस्तियां हैं। इन कालोनियों और कच्ची बस्तियों में सीवर लाइनें भी बिछी हैं मगर इनकी साफ सफाई का इंतजाम यूआईटी के पास नहीं है। सीवर जाम होते हैं तो नगर निगम से मदद लेकर सफाई की जाती है। यूआईटी के पास सिर्फ मैन्युअली सफाई कराने का इंतजाम है जो आज के समय के लिए पर्याप्त नहीं है।

चार दिन पहले बंग्लानगर में जाम हुए सीवरेज ने नगर विकास न्यास के संसाधनों की पोल खोल दी थी। यही वजह है कि यूआईटी के अधिकार क्षेत्र की ज्यादातर कॉलोनियों में सीवरेज उफान मार रही है। न्यास के पास शहर का इतना लंबा-चौड़ा इलाका होने के बाद भी सीवरेज सफाई के लिए भी मशीन नहीं है। सिर्फ मैन्युअली एक तार और सरिये के भरोसे पूरे इलाके की सीवरेज साफ होती है। इसलिए न्यास पूरी तरह सीवरेज सफाई के लिए नगर निगम पर निर्भर है।

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बीकानेर शहर में 60 साल पुरानी सीवरेज लाइन भी हैं। जिन्हें अब बदलने की जरूरत हो रही है मगर सिर्फ 7 साल में ही सीवरेज जर्जर हो गई। ये न सिर्फ हैरानी की बात है बल्कि सीवरेज की गुणवत्ता पर भी सवाल है। दरअसल बंग्लानगर एरिया में जो भी सीवरेज है उसका प्रस्ताव ही 2005 में बना था। सीवरेज बिछाने का काम 2017-18 के करीब हुआ था। यानी ये जो सीवरेज जर्जर हुई जिसके पाइप अब बदलने की जरूरत है वो सिर्फ 7 से आठ सल ही पुरानी है।

ऐसा हुआ इसलिए क्योंकि एस्टीमेट 2005 में बना था तो काम भले ही 2018 में हुआ हो पर बजट वही पुराना था। इसलिए सीवरेज में आरसीसी का एनबी-2 पाइप का डाला गया जो कमजोर माना जाता है। इतना कमजोर कि अगर उस लाइन के ऊपर मिट्टी का भी ज्यादा भार आ जाए तो भी लाइन टूट सकती है।

यही हुआ भी। बंग्लानगर में जब ट्रक लाइन से ऊपर गुजरा तो पहिया उसमें उसकी कमजोरी के कारण ही धंसा था। अब आरसीसी एनबी-4 का पाइप डाला जा रहा है। मगर सवाल ये है कि ये तो सिर्फ 25 फीट ही पाइप बदला गया जबकि ये लाइन तो कई किलोमीटर बिछाई गई है। आने वाले समय में अब ये पूरी लाइन बदलने की जरूरत महसूस होगी।

सवाल-2005 के एस्टीटमेट से 13 साल बाद लाइन क्यों डाली : जिस नगर विकास न्यास के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं वहां इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे हुई। 2005 के एस्टीमेट से 2018 में कमजोर पाइप डालना न्यास के अभियंताओं की भारी चूक थी। कायदे से इसकी जांच होनी चाहिए। क्योंकि 2018 में कमजोर पाइप अब लोगों के लिए जानलेवा हो रहे हैं। लोग परेशानी झेल रहे हैं और सरकार को हुआ वित्तीय नुकसान अलग।

नगर निगम की गाड़ी से ही टूट गया था बंग्लानगर में चैंबर

दरअसल चार दिन पहले बंग्लानगर में एक जगह सीवरेज का चैंबर उफान मार रहा था। उसे ठीक करने के लिए जब नगर निगम की गाड़ी पहुंची तो उसका टायर दूसरी सीवरेज लाइन के ऊपर ही धंस गया। गाड़ी तो निकल गई मगर वहां से भी गंदा पानी सड़क पर फैलने लगा। सीवर साफ करने गई गाड़ी और नुकसान करके लौट गई। वहां एक दिम बाद ही एक युवक स्कूटी समेत चैंबर में जा गिरा। राहत ये रही कि स्थानीय लोगों ने तुरंत उसे निकाल लिया। सीवरेज इतनी भयंकर जाम कि वो मशीनों से भी नहीं साफ हो सकी। बाद में बंग्लानगर में भी निगम ने ही बाद में अपनी सुपरशकर मशीन भेजी तब जाकर सफाई हुई।

हालांकि अब वहां के पाइप पूरी तरह गल चुके इसलिए न्यास करीब 25 फीट पाइप बदलने के काम में लगा है। रविवार से पाइप बदलने का काम चालू हो गया। माना जा रहा है कि दो से तीन दिन में ये काम पूरा हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि खबर आने के बाद ही प्रशासन भी जागा। ठीक उसी तरह जैसे रोडवेज बस स्टैंड के पास का मुद्दा उठाया था।

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