उपराज्यपाल बोले, जेल से नहीं चलेगी दिल्ली सरकार:केजरीवाल के सामने क्या मुश्किलें; राष्ट्रपति शासन लगेगा या नया CM बनेगा
शराब नीति केस में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल की ED कस्टडी 4 दिन और बढ़ा दी है। अब वे 1 अप्रैल तक हिरासत में रहेंगे। इस बीच दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा है कि दिल्ली सरकार जेल से नहीं चलेगी। आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ही रहेंगे।
एक्सप्लेनर में जानेंगे कि केजरीवाल के पास अब क्या विकल्प बाकी हैं, क्या वे CM बने रह सकते हैं, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की कितनी आशंका है और क्या केजरीवाल को जमानत मिल सकती है?
सवाल- 1: क्या केजरीवाल CM बने रहेंगे?
जवाबः सबसे पहले अरविंद केजरीवाल की पार्टी का स्टैंड समझ लीजिए। आप की बड़ी नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी लगातार कहती आई हैं कि गिरफ्तार होने के बाद भी केजरीवाल ही दिल्ली के CM रहेंगे।
आप सरकार में शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी कहा, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री या पार्टी प्रमुख को बदलने की कोई योजना नहीं है। हमने पहले भी कहा है कि अगर उन्हें (केजरीवाल को) गिरफ्तार किया गया तो वह जेल से शासन करेंगे और हमारा यह रुख नहीं बदला है।’
सवाल- 2: क्या केजरीवाल के CM रहते जेल जाने से दिल्ली में कोई संवैधानिक संकट खड़ा होगा?
जवाबः सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता के मुताबिक, संविधान के अनुसार विधायक मंत्री बनते हैं और मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल का प्रमुख होता है। अनेक राज्यों में विधायकों और मंत्रियों के जेल जाने के अनेक मामलों के बावजूद सरकार पर संवैधानिक संकट नहीं आया।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को अदालत के आदेश से सजा हुई, जिसके बाद उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था। झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन ने गिरफ्तार होने से पहले मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री बनने वालों को नैतिकता और स्वस्थ परंपरा के आधार पर त्यागपत्र देना चाहिए।
केजरीवाल के पास दिल्ली सरकार में कोई मंत्रालय नहीं है। आप के पास विधानसभा में पूर्ण बहुमत है। इसलिए मुख्यमंत्री के जेल जाने से राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति फिलहाल नहीं है, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली या फिर मामले में चार्जशीट दायर हो गई तो फिर उन्हें मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने की मजबूरी हो जाएगी।
सवाल- 3: केजरीवाल के लिए जेल से सरकार चलाना क्यों मुश्किल है?
जवाबः जेल से सरकार चलाने से जुड़ा कोई नियम संविधान में नहीं है, लेकिन जेल से सरकार चलाने में कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं-
- इसके लिए कोर्ट की अनुमति की जरूरत है। हालांकि, अभी तक देश में जेल से सरकार चलाने की किसी को परमिशन नहीं मिली है।
- मौलिक अधिकारों को छोड़कर किसी कैदी के विशेषाधिकार खत्म हो जाते हैं। सरकार चलाना मौलिक अधिकार नहीं है। जेल से ऑनलाइन सुनवाई की जा सकती है, लेकिन सरकार नहीं चलाई जा सकती।
- सरकार चलाने के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती। इसके लिए PMLA कोर्ट जाना होगा।
- कैदी वकील के जरिए अपने केस से जुड़े दस्तावेज पर दस्तखत कर सकता है, लेकिन बिना कोर्ट की अनुमति के सरकारी कामकाज की फाइल पर दस्तखत करना अवैध माना जाएगा।
- जेल विभाग, दिल्ली सरकार के अधीन है, लेकिन वह अपने ही CM को जेल से सरकार चलाने या मीटिंग करने की सुविधा नहीं दे सकता। केस की सुनवाई और टेलीमेडिसिन के अलावा जेल के बाहर की दुनिया के लिए किसी भी गतिविधि का अधिकार सिर्फ कोर्ट दे सकता है।
- विचाराधीन कैदी की तरह जेल में बंद कोई जनप्रतिनिधि या सांसद या विधायक कोर्ट की अनुमति से सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकता है, लेकिन मीटिंग नहीं कर सकता।
- वकील के अलावा कैदी से मिलने की अनुमति भी जेल के नियमों से ही मिलती है। कोई सीएम जेल में बंद है तो ऐसी संभावना नहीं है कि वो जिससे चाहे, जितनी बार चाहे मिल सकता है। जेलर अपनी इच्छा से कुछ मुलाकातें बढ़ा सकता है।
सवाल- 4: अगर केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते तो क्या राष्ट्रपति शासन लग सकता है, संवैधानिक विकल्प क्या हैं?
जवाबः संविधान का भाग VIII (अनुच्छेद 239 से 241) केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित है। साल 1992 में 69वें संशोधन अधिनियम के तहत इसमें दो नए अनुच्छेद 239AA और 239AB जोड़े गए। इनके तहत केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया है।
अनुच्छेद 239AA में प्रावधान है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ कहा जाएगा और इसके प्रशासक को उपराज्यपाल (LG) के रूप में जाना जाएगा। इसके तहत दिल्ली में एक विधानसभा और एक कैबिनेट भी होगी।
अनुच्छेद 239AA, दिल्ली के LG को कैबिनेट के साथ ‘किसी भी मामले’ पर मतभेद को राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार देता है। वहीं अनुच्छेद 239AB में प्रावधान है कि राष्ट्रपति, अनुच्छेद 239AA के किसी भी प्रावधान या इस अनुच्छेद के तहत बने किसी भी कानून को सस्पेंड कर सकता है। कुल मिलाकर ये अनुच्छेद, अनुच्छेद 356 यानी राष्ट्रपति शासन से मिलता-जुलता है।
अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली के उप-राज्यपाल इस मामले को राष्ट्रपति के पास ले जा सकते हैं। केंद्र सरकार दिल्ली में संवैधानिक संकट की आशंका का तर्क देकर आर्टिकल 239AB के तहत दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि, ‘जून 2023 में तमिलनाडु सरकार में मंत्री सेंथिल बालाजी को ED ने गिरफ्तार कर लिया था। त्यागपत्र नहीं देने पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। दिल्ली में भी सत्येन्द्र जैन ने जेल जाने के बावजूद काफी दिन तक मंत्री पद से त्यागपत्र नहीं दिया।
अनुच्छेद-239-एए और 239-एबी के तहत दिल्ली में उपराज्यपाल को विशेष शक्तियां हासिल हैं। जनता द्वारा निर्वाचित सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद स्पष्टता नहीं है। मुख्यमंत्री के जेल जाने के बाद पैदा हुए संकट के बारे में उपराज्यपाल राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज सकते हैं।’
सवाल-5: क्या केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं दिया तो दिल्ली विधानसभा भंग हो सकती है?
जवाब: विराग कहते हैं, ‘संविधान के अनुसार मंत्रिमंडल की सिफारिश पर ही राज्यपाल विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं। संवैधानिक संकट की स्थिति में सरकार की बर्खास्तगी और राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की जा सकती है। एक देश एक चुनाव की बात हो रही है इस लिहाज से विधानसभा चुनावों को भी अन्य राज्यों के साथ दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के पहले आयोजित किया जा सकता है। लेकिन मुख्यमंत्री के जेल जाने की वजह से विधानसभा को भंग करना संविधान सम्मत नहीं होगा।’
सवाल- 6: अगर केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ा तो दिल्ली का अगला CM कौन होगा?
जवाबः अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तार होने से पहले ही आम आदमी पार्टी के तीन बड़े नेता जेल में है। दिल्ली सरकार में डिप्टी CM रहे मनीष सिसोदिया, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह जेल में है। दिल्ली सरकार का कार्यकाल फरवरी 2025 तक है।
ऐसे में अगर अरविंद कजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ा तो सरकार चलाने के लिए मुख्यमंत्री पद पर किसी को काबिज होना होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केजरीवाल के इस्तीफे की स्थिति में दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना और गोपाल राय में से कोई एक दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
![केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद AAP कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन करतीं आतिशी। (फोटोः AFP)](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/03/28/afp2024032234m46qmv1highresindiapoliticsprotest-1_1711608621.jpg)
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद AAP कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन करतीं आतिशी। (फोटोः AFP)
मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के बाद, गोपाल राय और आतिशी केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद साथी माने जाते हैं। गोपाल राय आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में से एक हैं और अन्ना हजारे के आंदोलन के वक्त से वे केजरीवाल के साथ हैं। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में बनी तीनों सरकारों में गोपाल राय मंत्री रहे हैं। फिलहाल वे दिल्ली में आम आदमी पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। गोपाल राय को लो-प्रोफाइल नेताओं में गिना जाता है।
वहीं दिल्ली सरकार में शिक्षा और वित्त मंत्रालय संभाल रहीं आतिशी भी केजरीवाल के करीबियों में गिनी जाती हैं। वे आम आदमी पार्टी के महिला नेतृत्व का चेहरा हैं और दिल्ली में केजरीवाल के एजुकेशन मॉडल के पीछे उनका अहम रोल माना जाता है। आतिशी ने साल 2019 में पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गईं। साल 2020 में आतिशी पहली बार विधायक बनी थीं, मनीष सिसोदिया के कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद वो मंत्री बनी हैं।
ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी CM पद की दावेदार हो सकती हैं, लेकिन अभी तक ये बस अटकलें हैं। आम आदमी पार्टी की तरफ से CM पद के लिए न कोई नई योजना सामने आई है और न ही आधिकारिक रूप से किसी नेता का नाम लिया गया है।
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