जयपुर का ‘रोबोटिक’ कपल, सेना को भी पसंद इनके रोबोट:दंगों में भीड़ को खदेड़ेंगे, आग भी बुझा सकते हैं; कभी फंड नहीं था, अब खुद की कंपनी
जयपुर
भीषण आग को काबू करना हो या दंगे के दौरान भीड़ को खदेड़ना। अब जयपुर के पति-पत्नी के बनाए इन रोबोट से ये काम काफी आसान हो जाएगा। इसके अलावा भी ये रोबोट कई काम कर सकते हैं। इसलिए इंडियन आर्मी भी इन्हें जल्द ही ले सकती है। हालांकि, इंडियन नेवी जयपुर के इस कपल के बनाए रोबोट का इस्तेमाल कर रही है।
इसके अलावा रेलवे, सहित सऊदी अरब की कई कंपनी भी इनके बनाए रोबोट का यूज कर रही हैं। इस कपल ने आठ तरह के ह्यूमन लाइफ सेविंग रोबोट बनाए हैं। जो फ्रंट लाइनर्स की जान बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली फायर सर्विस ने भी छह और रोबोट की डिमांड इनसे की है।
कैसे एक साधारण से बैकग्राउंड से आने वाले इस दंपती ने रोबोट की अपनी दुनिया तैयार की, जिनकी डिमांड दुनिया के कई देशों में है। पढ़िए- सक्सेस स्टोरी…
वाटर एटीएम लगाकर जुटाया बजट
डॉ. नीलिमा मिश्रा मूल रूप से कोटा की रहने वाली हैं और उनके पति भुवनेश मिश्रा दौसा के हैं। दोनों फिलहाल जयपुर में रहते हैं। कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने के बाद जॉब के कई ऑफर आए, लेकिन 2012 में खुद का बिजनेस शुरू करने का प्लान बनाया।
रोबोट की दुनिया रोमांचित करती थी। इसलिए रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में ही रिसर्च शुरू की। दो साल केवल रिसर्च में लगाए। साल 2014 में रिसर्च पूरी करने के बावजूद वे काम शुरू नहीं कर पाए थे। क्योंकि इनके पास पर्याप्त फंड नहीं था। दोनों ने स्कूल और कॉलेज में वर्कशॉप भी की।
इसी बीच इन्हें हरियाणा से वाटर एटीएम का काम मिला। दो साल तक इन्होंने इस काम को पूरा किया। इस काम से इन्हें जरूरी बजट जुटाने में मदद भी मिली। साथ ही नीलिमा ने स्टूडेंट को टेलीपैथी सिखाना भी शुरू किया। उन्होंने अपना पहला रोबोट रेलवे में लगाया था, लेकिन रेस्पॉन्स अच्छा नहीं मिला।
कोरोना काल के दौरान बाहर से रोबोट नहीं लाए जा सकते थे। ऐसे में इन्होंने सवाई मानसिं हॉस्पिटल (SMS) में रोबोट लगाए। इसके बाद इन्हें रोबोट के ऑर्डर मिलने लगे। भुवनेश मिश्रा ने बताया कि अब उन्हें एमएसएमई से भी फंड मिला है। स्टार्टअप स्कीम से भी उन्हें मदद मिली है।
कोविड मरीजों की देखभाल के लिए भेजे रोबोट, यहीं से चर्चा में आए
आज से 4 साल पहले जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप झेल रही थी। उस दौरान संक्रमित मरीजों की देखभाल के लिए एसएमएस हॉस्पिटल में रोबोट की मदद ली गई थी। हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड के लिए तीन रोबोट लगाए थे। इनके अत्याधुनिक सोना 2.5 ने नर्स के रूप में पॉजिटिव मरीजों को समय पर दवा, भोजन और जरूरत का सामान पहुंचाने का काम किया।
जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में रोबोट सोना ने मरीजों को दवाई पहुंचाने का काम किया।
इन रोबोट का उपयोग मेडिकल टीम को संक्रमण से बचाने के लिए किया गया था। रोबोट ने इस दौरान मेडिकल स्टाफ के साथ मिलकर काम किया। इसके लिए स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया था। इनके उपयोग से पहले आईसोलेशन वार्ड में रोबोट का लाइव डेमोस्ट्रेशन दिया था।
पति की मदद से रोबोटिक्स में बनाई पहचान
नीलिमा बताती हैं कि उन्हें पति भुवनेश मिश्रा ने रोबोटिक्स से रू-ब-रू कराया था। अब वे खुद रोबोट मैन्युफैक्चरिंग से लेकर रोबोट गैलेरी की जिम्मेदारी संभालती हैं। भुवनेश ने बताया कि जयपुर के कई रेस्टोरेंट्स में पहले से कई रोबोट खाना सर्व कर रहे हैं, लेकिन ये रोबोट्स चीन से बनकर आए हैं।
उनके बनाए रोबोट इनकी तरह लाइन फॉलोअर नहीं है। इन्हें सेंसर्ड पाथ की जरूरत नहीं होती है। इनके बनाए रोबोट ऑटो नेविगेशन रोबोट हैं और इंसानों की तरह सेंसर की मदद से खुद का रास्ता बनाते हैं। इन्हें लैपटॉप या स्मार्टफोन से ऑपरेट किया जा सकता है।
30 मिनट में चार्ज होकर रोबोट 7 घंटे तक काम करता है। इतना ही नहीं, रोबोट वायरलेस ऑटो डॉकिंग प्रोग्राम की मदद से डिस्चार्ज होने से पहले खुद चार्जिंग पॉइंट पर जाकर ऑटो चार्ज हो जाता है।
फायर फाइटिंग XENA 5.0 रोबोट के साथ नीलिमा मिश्रा।
आग बुझाएंगे-सीवर लाइन साफ करेंगे इनके बनाए रोबोट
नीलिमा और उनके पति ऐसे रोबोट बनाते हैं जो इंसान की हेल्प करने के साथ ही उनकी जिंदगी बचाते हैं। यानी ऐसे काम जहां इंसान की जिदंगी को लेकर खतरा हो, वहां इनके बनाए रोबोट काम को आसान बनाते हैं।
इन्हाेंने आठ तरह के रोबोट बनाए हैं। जिन्हें हॉस्पिटल, ऑफिस, रेस्टोरेंट में लगाया जा सकता है। इन्होंने रोबोट के अपग्रेड वर्जन भी बनाए हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं। सीवरेज की क्लीनिंग इंसानों से कराने पर रोक लगने पर यह काम रोबोट से आसानी से कराया जा सकता है।
बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में आग रोकने के लिए फायर फाइटिंग रोबोट तैयार किया है, जो 8 लोगों का काम अकेला कर सकता है। संकरी गलियों में आगजनी की घटना होने पर इसकी मदद से आग पर काबू पाया जा सकता है।
मिश्रा ने बताया कि उनके तैयार किए 18 फायर फाइटिंग रोबोट दिल्ली में काम कर रहे हैं। इसके अलावा दंगा रोधी और डिफेंस रोबोट बनाए हैं, जो सेना और पुलिस के लिए बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। इन रोबोट की खास बात यह है कि इनमें चाइनीज प्रोडेक्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इन्हें 85 प्रतिशत जयपुर स्थित सीतापुरा इंडस्ट्रियल एरिया में बनी फैक्ट्री में ही बनाया जाता है।
दिल्ली के फायर डिपार्टमेंट में तैनात जयपुर में तैयार हुए फायर फाइटिंग रोबोट।
फायर फाइटिंग रोबोट XENA 5.0
यह रोबोट आपदा प्रबंधन और आग बुझाने के काम आता है। यह 500 किलाे पेलोड ले जा सकता है। इसके साथ ही 7 टन वाहन और 100 एम की दो चार्ज नली खींचने की क्षमता रखता है। रोबोट का वजन 240 किलोग्राम है और इसकी बैटरी पांच से छह घंटे तक चलती है।
रोबोट आग लगने की जगह काे खुद आईडेंटिफाई कर सकता है। इसमें पानी व फोम अग्निशमन मॉनिटर के साथ ही कैमरा भी लगा होता है। बड़ा हादसा होने पर इसे रिमोट के जरिए एक किलोमीटर दूरी से भी ऑपरेट किया जा सकता है। भीषण आग की घटना से आसानी से निपट सकता है। यह 90 मीटर तक पानी फेंक सकता है।
जयपुर के लिए क्यों जरूरी है लाइफ सेविंग रोबोट
शहर की संकरी गलियों में आगजनी होने पर दमकल की गाड़ियां घटनास्थल पर नहीं पहुंच पाती हैं। ऐसी स्थिति में आग पर समय रहते काबू पाने में काफी परेशानी आती है।
इस स्थिति से बचने और आग से होने वाले जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए फायर फाइटिंग रोबोट बेहद जरूरी है। इस राेबोट को एक किलोमीटर दूर से भी ऑपरेट किया जा सकता है और आसानी से संकरी गलियों में भेजकर आग पर काबू पा सकता है। इसके साथ ही सीवरेज क्लीनिंग में भी रोबोट बेहद कारगर है।
फायर फाइटिंग रोबोट जेना 5.0 की सबसे ज्यादा डिमांड है।
रोबोट में लगे सेंसर की मदद से सीवरेज में गैस और उसकी मात्रा का पहले ही पता लगाया जा सकता है। रोबोट बैटरी और सोलर ऑपरेट होते हैं, जिससे इन्हें चलाने में परेशानी भी नहीं आती है। कुछ साल पहले शहर के आईओसीएल में भीषण आग लगी थी, ऐसी बड़ी घटनाओं में भी रोबोट मददगार बन सकते हैं।
‘कृष्णा’ करेगा पुलिस और आर्मी की हेल्प
इनका बनाया कृष्णा रोबोट पुलिस और आर्मी की हेल्प कर सकता है। यह एक हजार किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है। यह रोबोट किसी भी परिस्थिति और जगह पर सामान ले जा सकता है।
इस रोबोट पर जरूरत के अनुसार कुछ ही मिनटों में कैमरा, हथियार या वाटर कैनन लगाया जा सकता है। यह रोबोट 24 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। बॉर्डर एरिया पर सर्विलांस करने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
इंजीनियर दंपती नए ह्यूमन लाइफ सेविंग रोबोट तैयार करने में जुटे हैं।
नेवी में तैनात हैं इनके रोबोट
जयपुर में बने दो हृयूमन रोबोटस को इंडियन नेवी ने भी लिया है। कोविड के दौरान इन दोनों रोबोटस को नेवी ने विशाखापटनम के लिए खरीदा था। यहां बनें डिफेंस रोबोटस का अभी आर्मी डिजाइन ब्यूरो द्वारा टेस्ट किया जा रहा है।
यूजर रिव्यू के तहत इन रोबोटस को नॉर्थ और नार्दन कमांड सेंटर द्वारा टेस्ट किया जा चुका है। भुवनेश मिश्रा ने बताया कि सेना किसी भी सामान को खरीदने से पहले उसे विभिन्न चरणों में टेस्ट करती है। अभी डिफेंस रोबोटस की यह प्रक्रिया जारी है।
सेना में टेस्टिंग के दौरान भुवनेश मिश्रा का बनाया गया रोबोट।
इस प्रक्रिया को पूरे होने में एक से दो साल का समय लगता है। अब इन रोबोटस का अगला टेस्ट ईस्ट कमांड में किया जाएगा। टेस्ट के दौरान आर्मी के मापदंड पर खरा उतरने और आर्मी की जरूरत के अनुसार इनमें बदलाव करने पर आर्मी बड़े स्तर पर एक साथ ऐसे कामों का वर्क ऑर्डर देती है। भुवनेश को उम्मीद है कि मेक इन इंडिया रोबोटस भारतीय सेना के टेस्ट में भी खरे उतरेंगे।
राजस्थान में ही काम नहीं आ रहे रोबोट्स
जयपुर में बने इंजीनियर दंपती के बनाए रोबोट दिल्ली, गुजरात, उड़ीसा के साथ ही छत्तीसगढ़ के रायपुर, तेलंगाना के हैदराबाद और आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम, श्रीकाकुलम और गुंटूर जिले के अलग-अलग डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं। रोबोट के काम से प्रभावित होकर दिल्ली फायर सर्विस ने छह और रोबोट की डिमांड की है।
लेकिन अभी तक राजस्थान में कहीं भी इन फायर फाइटिंग रोबोट्स को काम में नहीं लिया जा रहा। केवल उदयपुर की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एक ह्यूमन रोबोट लगाया गया है। नीलिमा बताती हैं कि वे जल्द ही अपने प्रोजेक्ट का सरकार को प्रजेंटेशन देंगी।
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