समाज की कुरीतियों और महिलाओं की संकोचात्मक प्रवृत्ति: महिलाओं की स्थानीय समस्याओं का जिम्मेदार कौन?
मरुधरा महिला मंच बाड़मेर की ओर से रविवार को मातृ शक्ति का सम्मेलन शक्ति समागम कुशल वाटिका में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता मनोरमा मिश्रा ने कहा कि वर्षों तक पश्चिमी देशों में यह बहस चली कि स्त्री में आत्मा अथवा नहीं। इस भेदभाव के चलते स्त्री आन्दोलन हुए, जिनमें बराबरी की मांग की गई।
दूसरे सत्र में शिक्षा, पर्यावरण संस्कार, स्वास्थ्य, स्थानीय समस्याओं को लेकर बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं आदि विषयों पर प्रश्नोत्तरी से चर्चा की गई। मातृ शक्ति समूह में से माताओं बहिनों ने अपनी समस्याएं प्रश्नों के माध्यम से प्रस्तुत की जिनका चर्चा प्रवर्तकों कमला राजपुरोहित, अधिवक्ता इंदु तोमर, स्त्री रोग विशेषज्ञ सीमा मित्तल समाज सेविका सुशीला, असिस्टेंट प्रोफेसर सरिता लीलड़ की ओर से समाधान किया गया।
मुख्य वक्ता और चर्चा प्रवर्तक इन्दु तोमर जो कि सृजन फाउंडेशन की अध्यक्ष और संस्थापिका है, उन्होंने महिलाओं की भावनाओं की जर्ज़र अवस्था और संकुचित सोच को विकसित करने और सभी को एक दूजे का हाथ पकड़ कर साथ साथ आगे बढ़ने के लिए आपसी समंजस्य से रहने के लिए प्रेरित किया ताकि मातृ शक्ति एक साथ मिलकर एक नवीनतम सुन्दर समाज की रचना कर सके और जिसमें हमारी भावी पीढ़ी सुकून और सौहार्दपूर्ण जीवन जी सके।
माताओं को अपने बेटों को आगे बढ़ाने के साथ साथ स्त्रियों की इज्जत करने और बेटी की तरह ही समान रूप से घर की मान मर्यादाओं को निभाने के लिए प्रेरित करते हुए अपने अपने स्वयं के जीवन में खुश रहने के लिए समाधान बताये। तक़रीबन 3000महिलाओं और बेटियों के लिए हुए इस कार्यक्रम में उनकी समस्याओं पर प्रश्नों का हल बताते हुए एडवोकेट इन्दु तोमर ने आत्महत्या जैसे ख्याल ना लाकर आत्म विश्वास के साथ मुश्किलों से जूझने और सकारात्मक सोच रखने पर बाल दिया तभी सही संतुलित समाज के भविष्य की नींव रखी जा सकती है।
स्वयं व परिवार के साथ सामाजिक विकास पर ध्यान देते हुए राष्ट्रीय अभियानों जैसे स्वच्छता अभियान, सड़क सुरक्षा अभियान, सामाजिक भावना चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। महिला समन्वय की प्रांत संयोजिका एवं शक्ति समागम कार्यक्रम की राजस्थान क्षेत्र की संयोजिका पुष्पा जागिड़ ने बताया कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते वाली हमारी संस्कृति में इस प्रकार के मातृ सम्मेलन सम्पूर्ण भारत में हो रहे है। शक्ति के 9 अवतारों की ओर से अन्याय पर शक्ति की विजय दशति हुए बालिकाओं ने नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके अतिरिक्त एक पारंपरिक गजूमर नृत्य तथा योगासन दर्शाता नृत्य भी बालिकाओं ने किया।
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