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राजस्थान में रिवाज बदलेगा या राज? किसकी योजनाओं और गारंटियों पर मतदाता करेगा फोकस? जानें किसकी गारंटी किस पर भारी!

राजस्थान में रिवाज बदलेगा या राज? किसकी योजनाओं और गारंटियों पर मतदाता करेगा फोकस? जानें किसकी गारंटी किस पर भारी!

किसकी योजनाओं और गारंटियों पर मतदाता करेगा फोकस?
किसकी योजनाओं और गारंटियों पर मतदाता करेगा फोकस?

जयपुर। राजस्थान चुनाव-2023 के लिए कल यानि 25 नवंबर को मतदान होना है. जिसके लिए कल शाम 5 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम चुका (Manifesto of BJP and Congress) है. जहां एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार बदलने वाला रिवाज बदलने का विश्वास जता रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर भाजपा राजस्थान में अपना राज लाने का दावा कर रही है. ऐसे में देखना होगा कि इस बार राजस्थान में रिवाज बदलेगा या राज बदलेगा?

दोनों ही दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने पिटारे से वादों और गांरटियों की झड़ी लगा दी. दोनों ही दलों ने मतदाताओं के लिए जमकर लुभावनी घोषणाएं की हैं. बीजेपी को अपने साइलेंट वोट के साथ ही किसान, छात्र, युवा और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी घोषणाओं के सहारे सत्ता परिवर्तन का इतिहास कायम रखने का भरोसा है. राजस्थान में इस बार के चुनाव में प्रदेश की जनता किन मुद्दों को लेकर पोलिंग बूथ पर जाएगी और किन मुद्दों पर किस पार्टी का चुनाव करेगी? आइए जानते है…

कांग्रेस और बीजेपी के चुनाव घोषणा पत्र को तुलनात्मक आधार पर देखें तो कुछ समानताएं और कुछ भिन्नताएं नजर आती है. कांग्रेस ने घोषणा पत्र में हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ दिया है तो बीजेपी के संकल्प पत्र में महिला, युवा, किसान और गरीब को फोकस करते हुए वादे किए हैं.

बीजेपी के फोकस में महिला, युवा और गरीब

कांग्रेस के जातिगत जनगणना के दांव पर पीएम मोदी ने काउंटर करते हुए कहा था कि इस देश में एक जाति है गरीब की, यही सबसे बड़ी जाति है. बीजेपी के घोषणा पत्र में भी इसकी छाप नजर आ रही है. बीजेपी का फोकस गरीब के साथ ही महिला, युवा और किसान पर है. बीजेपी के घोषणा पत्र में किसके लिए क्या है?

बीजेपी ने (Manifesto of BJP and Congress) गरीबों को मुफ्त राशन के साथ ही हर परिवार को घर देने का वादा किया है, साथ ही ये भी कहा है कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 450 रुपये में गैस सिलेंडर देंगे. बीजेपी ने गरीब छात्र-छात्राओं को ड्रेस और किताब के लिए 1200 रुपये हर साल दिए जाएंगे. इन वादों के जरिए पार्टी की नजर गरीब वर्ग को साधने पर है.

बीजेपी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि को छह से बढ़ाकर 12000 रुपये करने, गेहूं की खरीद के लिए 2700 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी और इसके साथ बोनस देने का वादा किया है. पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में ये भी कहा है कि ज्वार, बाजरे की भी एमएसपी पर खरीद कराने की व्यवस्था की जाएगी. बीजेपी ने कुर्क हुई जमीन किसानों को वापस दिलाने का वादा भी किया है. राजस्थान में किसानों की जमीन कुर्क किए जाने को लेकर पिछले कुछ महीने से बीजेपी आक्रामक भी थी. अब इन सभी वादों के जरिए बीजेपी की कोशिश नए कृषि कानूनों (जिन्हें केंद्र सरकार ने आंदोलन के बाद वापस ले लिया था) को लेकर नाराज चल रहे किसानों को साधने की है.

बीजेपी ने युवाओं को साधने के लिए रोजगार कार्ड चला है. पार्टी ने सत्ता में आने पर 15000 डॉक्टर और 20000 पैरा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति करने के साथ ही ढाई लाख सरकारी नौकरियां देने का भी वादा किया है. बीजेपी ने ये भी कहा है कि 50 लाख युवाओं को रोजगार या स्वरोजगार दिया जाएगा. बीजेपी ने पेपर लीक की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का भी वादा किया है. बीजेपी की रणनीति पेपर लीक और बेरोजगारी के कारण युवाओं के असंतोष को कैश कराने, उन्हें रोजगार कार्ड से अपने पाले में लाने की है.

महिला सुरक्षा का मुद्दा भी चुनाव प्रचार के दौरान छाया रहा. बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड के गठन, महिलाओं के लिए प्रदेशभर में तीन सौ बूथ स्थापित करने के साथ राजस्थान सशस्त्र बल में महिलाओं के लिए तीन बटालियन के गठन का वादा किया है. महिलाओं को बीजेपी का साइलेंट वोटर माना जाता है और इस वोट बैंक को साधने के लिए पार्टी ने सभी छात्राओं को केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा का भी वादा किया है.

कांग्रेस के घोषणा पत्र में क्या?

गहलोत सरकार ने महिलाओं को लेकर 400 रुपये में घरेलू गैस सिलेंडर देने का वादा किया. इसके जरिए कांग्रेस की रणनीति सूबे की दो करोड़ से अधिक महिला मतदाताओं को साधने की है. पार्टी ने महिलाओं पर फोकस कर गृह लक्ष्मी योजना के तहत घर की महिला मुखिया को हर साल 10 हजार रुपये देने, महिला अपराध के मामलों में जल्द न्याय के लिए कदम उठाने के भी वादे किए हैं.

गहलोत सरकार की फ्लैगशिप योजना चिरंजीवी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस का कवर को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर अब 50 लाख रुपये करने का वादा किया है. जो कि जनता पर सक्रिय प्रभाव डालता हुआ नजर आ रहा है. सीएम गहलोत को भी इस और कांग्रेस नेतृत्व को इस योजना पर बहुत भरोसा है. कांग्रेस की नजर इस योजना के लाभार्थियों पर तो है ही, एक बड़े वर्ग को इसके जरिए अपने पाले में लाने का विश्वास भी सत्ताधारी दल को है.

गहलोत सरकार ने जातिगत जनगणना करवाने का वादा भी किया है. सीएम गहलोत खुद ओबीसी वर्ग से आते हैं. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी का प्रमुख चेहरा रहे पीएम मोदी भी ओबीसी ही हैं. राजस्थान में गहलोत या पीएम मोदी, ओबीसी का किंग कौन? इन चुनावों को इसका लिटमस टेस्ट भी माना जा रहा है. ऐसे में जातिगत जनगणना के दांव से कांग्रेस को पिछूड़ा वर्ग के मतदाताओं के लामबंद होने की उम्मीद है.

कांग्रेस ने प्रदेश के गरीब जन को साधते हुए आवास के अधिकार को कानून बनाकर लागू करवाने का वादा किया. इस वादे के जरिए पार्टी की रणनीति ऐसे वर्ग के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की है, जिसके पास आवास नहीं है.

पार्टी ने फिर से सत्ता में आने पर मनरेगा योजना के तहत 125 से बढ़ाकर 150 दिन रोजगार की गारंटी देने का वादा किया है. इस घोषणा के जरिए बेरोजगारों को साधने का प्लान है. पंचायत स्तर पर सरकारी नौकरी का नया काडर बनाने का वादा भी कांग्रेस ने किया है. इन वादों के पीछे बेरोजगारों को साधने का प्लान बताया जा रहा है.

कांग्रेस ने बीजेपी (Manifesto of BJP and Congress) का कोर वोटर माने जाने वाले व्यापारी वर्ग को भी पांच लाख रुपये तक ब्याज मुक्त ऋण देने का वादा किया है. कांग्रेस ने किसानों के लिए भी स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक एमएसपी को लेकर कानून बनाने का दांव भी चला है और ये भी वादा किया है कि किसी किसान की जमीन कुर्क नहीं होगी.

जनता किसका देगी साथ?

राजस्थान चुनाव के प्रचार में कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक, वादों और गारंटियों पर जोर रहा. अब लाभार्थी किसके साथ जाते हैं, ये तो कल ईवीएम मे लॉक हो जाएगा. साथ ही तीन दिसंबर की तारीख को सबको पता चल ही जाएगा.

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