114 लड़ाकू विमान की विदेशी डील कैंसिल, रक्षा मंत्रालय अब इस सरकारी कंपनी से करेगा खरीद
IAF के लिए 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट की विदेशी कंपनी से खरीद को कैंसिल कर दिया है. अब ये फाइटर एयरक्राफ्ट देश की सरकारी कंपनी से ही ख़रीदे जाएंगे. इसके लिए 50,000 करोड़ की सीसीएस मंजूरी दी गई है.
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रक्षा मंत्रालय ने IAF के लिए 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट की विदेशी कंपनी से खरीद को कैंसिल कर दिया है. अब ये खरीद सरकारी कंपनी से ही होगी. दरअसल, रक्षा मंत्रालय ने फाइटर एयरक्राफ्ट की डील के लिए RFI को रद्द कर दिया है. विदेशी लड़ाकू जेट आयात करने के बजाय वायुसेना ADA-HAL की ORCA/TEDBF परियोजना का समर्थन करेगा. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस परियोजना के लिए 50,000 करोड़ की सीसीएस मंजूरी दी गई है.
मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा
यह खरीद ‘मेक इन इंडिया’ को एक बड़ा बढ़ावा देगी क्योंकि विमान को एचएएल के अलावा कई स्थानीय विक्रेताओं की भागीदारी के साथ स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा.अधिकांश उपकरण और सिस्टम स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त होने के कारण ये लड़ाकू विमान सरकार की मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत स्कीम को बढ़ावा देंगे.
पहले ये था प्लान
सरकारी सूत्रों के मुताबिक हाल ही में, भारतीय वायु सेना ने विदेशी विक्रेताओं के साथ बैठक की और उनसे मेक इन इंडिया परियोजना को अंजाम देने के तरीके के बारे में पूछा. योजना के मुताबिक शुरुआती 18 विमान आयात करने के बाद अगले 36 लड़ाकू जेट्स देश में ही बनाए जाने का प्लान था. इन फाइटर जेट्स की कीमत फॉरेन और इंडियन करेंसी दोनों में की जाएगी.
भारतीय पार्टनर की जिम्मेदारी
आखिरी 60 फाइटर जेट्स की जिम्मेदारी भारतीय पार्टनर की होगी. जिसके लिए सरकार केवल भारतीय मुद्रा में पेमेंट करने वाली थी. इसके पीछे वजह है कि इस कदम से प्रोजेक्ट में शामिल वेंडर्स को 60% से अधिक ‘मेक-इन-इंडिया’ सामग्री हासिल करने में मदद मिलेगी. दरसल सरकार मेक इन इंडिया को अधिकतर सेक्टर्स में बढ़ावा दे रही है. सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से सेक्टर को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. वहीं सरकार के आत्मनिर्भर भारत को भी इससे बल मिलेगा. बीते कुछ सालों मे सरकार ने कई सेक्टर्स में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए पीआईएल समेत कई तरह की इंसेटिव्स की घोषणा भी की है. वहीं अब कई विदेशी कंपनियां भी भारत सरकार की इन स्कीम्स का लाभ उठाकर भारत में कारोबार कर रही है.
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