कनाडा की सड़कों पर खालिस्तानियों के खिलाफ गुस्सा; हिंदू, सिख और जैन समुदाय आए साथ
कनाडा में खालिस्तानी तत्वों द्वारा ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर पर हमले के बाद भारतीय समुदाय ने एकजुट होकर कड़ा विरोध दर्ज किया है। इस हमले के बाद हजारों भारतीय-कनाडाई नागरिकों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें हिंदू, सिख और जैन समुदाय के लोगों ने एकता का प्रदर्शन करते हुए खालिस्तानियों के खिलाफ जोरदार नारे लगाए।
ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर के बाहर सोमवार को हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। यह विरोध उस हमले के एक दिन बाद हुआ, जिसमें खालिस्तानी तत्वों ने मंदिर में उपस्थित भक्तों पर हमला किया था। यह रैली ‘कोएलिशन ऑफ हिंदूज इन नॉर्थ अमेरिका’ (CoHNA) द्वारा आयोजित की गई थी, जिसमें हिंदू, सिख, और जैन समुदाय के साथ अन्य धार्मिक समूहों ने भी हिंसा के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
भारतीय समुदाय की एकता और ट्रूडो सरकार पर निशाना
इस हमले के बाद भारतीय समुदाय ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार को आड़े हाथ लिया। भारतीय मूल के नागरिकों ने आरोप लगाया कि ट्रूडो सरकार खालिस्तानी तत्वों को बढ़ावा दे रही है, जिससे ये तत्व हिंसा और नफरत फैलाने का साहस कर पा रहे हैं। T.I.N. NETWORK न्यूज को एक प्रदर्शनकारी ने बताया, “सिख हमारे भाई हैं, जैन समुदाय भी हमारे साथ है, और खालिस्तानी सिख नहीं हैं। हमारे कई सिख दोस्त हैं जो इस नफरत के समर्थन में नहीं हैं।”
प्रदर्शन में विभिन्न समुदायों की भागीदारी
प्रदर्शन में हिंदू, सिख, और जैन समुदाय के साथ यहूदी, ईसाई, और ईरानी समुदाय के लोग भी शामिल हुए। उन्होंने कहा, “यह किसी एक धर्म का मुद्दा नहीं है, बल्कि सभी समुदायों का एकजुट संघर्ष है। खालिस्तानियों ने एक रेखा लांघ दी है, और विभिन्न समुदायों ने संगठित होकर इसका विरोध किया है।”
प्रदर्शन में सड़क जाम करने के साथ-साथ खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ नाराजगी भरे नारे लगाए गए। प्रदर्शनकारियों ने पील पुलिस की आलोचना भी की, जो इस हमले को रोकने में नाकाम रही। उन्होंने पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए इसे धार्मिक असंतुलन बढ़ाने वाला बताया।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस हमले के बाद कनाडा और भारत में विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने प्रतिक्रिया दी। भारत के केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने ट्रूडो पर आरोप लगाया कि वे खालिस्तानी तत्वों के समर्थक हैं और उनकी चुप्पी ने कनाडा में भारतीय समुदाय को बांटने का काम किया है। उन्होंने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि खालिस्तानी तत्वों द्वारा किसी भी धार्मिक स्थल पर हमला स्वीकार्य नहीं है।
कनाडा के पूर्व मंत्री उज्जल दोसांझ ने कहा, “कनाडा में खालिस्तानी मुद्दे पर राजनीतिक भूल हो रही है। जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में खालिस्तानी आंदोलन का समर्थन बढ़ा है।”
‘ए लैंड डिवाइडेड’: मीडिया की प्रतिक्रिया
कनाडा के प्रमुख अखबार ‘टोरंटो सन’ ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने मुख्य पृष्ठ पर हेडलाइन दी: ‘ए लैंड डिवाइडेड’। रिपोर्ट में कहा गया कि इस हमले ने कनाडा में धार्मिक असंतुलन को उजागर कर दिया है और ट्रूडो की सरकार ने देश में विभाजन को बढ़ावा दिया है।
निष्कर्ष
हिंदू, सिख, और जैन समुदाय के इस संयुक्त प्रदर्शन ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों के खिलाफ एक बड़ा संदेश दिया है। इस प्रदर्शन ने न केवल खालिस्तानी आतंक के खिलाफ जागरूकता फैलाई है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि भारतीय समुदाय खालिस्तानी तत्वों और उनके समर्थकों के खिलाफ एकजुट है। T.I.N. NETWORK न्यूज को बताया गया कि भारतीय समुदाय का यह संगठित प्रयास कनाडा के समाज में शांति और सद्भाव को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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