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जब भरी दोपहर अचानक गायब हो गया सूरज:3,247 साल पुराना किस्सा, कैसे तबाह हुआ उगारिट साम्राज्य; आज फिर पूर्ण सूर्यग्रहण

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When the sun suddenly disappeared in the afternoon: 3,247 year old story, how the Ugarit empire was destroyed; Total solar eclipse again today
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जब भरी दोपहर अचानक गायब हो गया सूरज:3,247 साल पुराना किस्सा, कैसे तबाह हुआ उगारिट साम्राज्य; आज फिर पूर्ण सूर्यग्रहण

8 अप्रैल 2024। अमेरिका में घड़ी 2:04 PM बजाएगी और आसमान में सूरज छिपना शुरू हो जाएगा। करीब 74 मिनट बाद आसमान से सूरज लगभग गायब हो जाएगा। 4 मिनट 28 सेकेंड तक ऐसी ही स्थिति रहेगी। इस दौरान सूर्य 88% ढंक जाएगा और करीब 5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान भी गिर जाएगा।

आज के दौर में भले ही ये एक सामान्य खगोलीय घटना हो, लेकिन 3,247 साल पहले जब अचानक भरी दोपहर सूरज गायब हुआ तो हाहाकार मच गया था। इस सूर्यग्रहण के बाद एक पूरा साम्राज्य तबाह हो गया था। एक्सप्लेनर में सदियों पुराने इसी किस्से को जानेंगे…

एक किसान को मिले कुछ मिट्टी की पट्टियों से शुरू हुई कहानी
साल 1929। सीरियाई बंदरगाह लताकिया से 10 किमी दूर स्थित प्राचीन शहर उगारिट से लगभग एक किमी दूर अल-बायदा में एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था। इस दौरान उसे एक मिट्टी की पट्टियां मिली, जिसमें कुछ चिह्न बने थे। ये प्राचीन उगारिट साम्राज्य के थे।

उगारिट शहर (अब सीरिया) का प्राचीन खंडहर, जहां पूर्ण सूर्यग्रहण की जानकारी वाली मिट्टी की पट्टिका (टैबलेट) की खोज की गई थी।

उगारिट शहर (अब सीरिया) का प्राचीन खंडहर, जहां पूर्ण सूर्यग्रहण की जानकारी वाली मिट्टी की पट्टिका (टैबलेट) की खोज की गई थी।

तब तक एक्सपर्ट्स को उगारिट शहर का नाम तो मालूम था, लेकिन इसकी लोकेशन एक रहस्य थी। किसान को कुछ टैबलेट मिलने के बाद इसकी लोकेशन का भी पता चल गया। उगारिट में मौजूद रास शामरा टीले के खंडहरों में 1929 में खुदाई शुरू की गई। इस आर्कियोलॉजिकल मिशन का निर्देशन क्लॉड एफ.ए. शैफर ने किया।

खुदाई में मिट्टी से बनी कई टैबलेट, बर्तन, पुरातात्विक अवशेष आदि मिले। इसमें मिले टैबलेट मिट्टी की बनी चौकोर और मोटी पट्टियां थीं, जिन पर क्यूनिफॉर्म लिपि उकेरी गई थी।

खुदाई में मिली मिट्टी की एक पट्टी, जिस पर क्यूनिफॉर्म वर्णमाला लिपि उकेरी गई है।

खुदाई में मिली मिट्टी की एक पट्टी, जिस पर क्यूनिफॉर्म वर्णमाला लिपि उकेरी गई है।

इन मिट्टी की पट्टियों ने क्या राज खोले?
खुदाई में मिले इन टैबलेट से करीब 3 हजार साल पुराने उगारिट साम्राज्य के सूर्यग्रहण का पता चला। एक्सपर्ट्स ने इसकी व्याख्या कुछ इस तरह की…

व्याख्या-1: एक जानकार ने लिखा, ‘हियार के महीने में अमावस्या के दिन, दिन के समय मंगल ग्रह की उपस्थिति में सूर्य अस्त हो गया।’

व्याख्या-2: एक अन्य विश्लेषक ने लिखा, ‘हियार महीने की अमावस्या के दिन के छठे घंटे में सूर्य अस्त हो गया। उगारिट में हुए पूर्ण सूर्यग्रहण के बाद लोगों में डर का माहौल बन गया और वो घबरा गए।’

क्या ये सूर्यग्रहण ही था या कोई अन्य खगोलीय घटना?

KTU 1.78 लेबल वाली एक मिट्टी की पट्टी 1250 ईसा पूर्व से लेकर 1175 ईसा पूर्व के बीच का है। प्राचीन उगारिट विद्वानों का कहना है, ‘टैबलेट में दिन के बीच में सूर्य गायब होने और इस दौरान आकाश में मंगल ग्रह के दिखने का विवरण है।’

दरअसल, पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान आमतौर पर चमकीले तारे और ग्रह दिन के समय भी दिखाई देते हैं। खगोलीय मॉडल के आधार पर दोपहर में उगारिट के आकाश में मंगल ग्रह, सूर्य के 3.5 डिग्री करीब रहा होगा। ग्रहण के दौरान लोग डार्क सूरज को देख रहे होंगे और उन्हें मंगल ग्रह दिख गया होगा।

अगर आकाश में मंगल ग्रह के दिखने लायक अंधेरा रहा होगा, जो कि साबित करता है कि टैबलेट पर वर्णित घटना वाकई में पूर्ण सूर्यग्रहण की थी, न कि दोपहर में हुई किसी अन्य खगोलीय घटना की।

हालांकि, एक्सपर्ट्स के विश्लेषण से पता चला कि इसमें बीच दोपहर में सूर्य के अचानक धुंधले या गायब होने का वर्णन मिलता है, लेकिन टैबलेट में पूर्ण सूर्यग्रहण का स्पष्ट जिक्र नहीं है, लेकिन उकेरे गए चिह्न इसकी ओर इशारा करते हैं। आधुनिक खगोल विज्ञान में सूर्यग्रहण को तीन प्रकारों में बांटा गया है पूर्ण, वलयाकार और आंशिक सूर्यग्रहण, लेकिन प्राचीन काल में सूर्य ग्रहण के प्रकारों में अंतर नहीं किया जाता था।

जानवरों के लिवर से भविष्य का अनुमान

जिस टैबलेट में सूर्यग्रहण के बारे में लिखा है, उसी के दूसरी ओर उसके परिणामों की भविष्यवाणी की गई है। टैबलेट के दूसरी ओर लिखा है, ‘दो लिवर की जांच की गई: खतरा।’

इसके बारे में खगोलशास्त्री तीजे डी जोंग और विल्फ्रेड वैन सोल्ट ने नेचर पत्रिका में 1989 में इस लिवर भविष्यवाणी को एक्सप्लेन किया। लैटिन भाषा का शब्द हारुसपेक्स, प्राचीन रोम में भविष्यवाणी का एक प्रकार है। इसमें बलि के जानवरों की अंतड़ियों के जरिए देवताओं की इच्छा का अनुमान लगाया जाता था। खासतौर पर इसमें भेड़ के लिवर और पित्ताशय को परखा जाता था।

ग्रीक भाषा में हारुसपेक्स को हेपेटोस्कोपी या हेपेटोमेंली भी कहा जाता है। हारुसपेक्स ने प्रकृति के संकेतों या असामान्य घटनाओं, किसी विशेष आपदा, असामान्य या राक्षसी जन्मों की व्याख्या की। इन भविष्यवाणियों का आकलन करने वाले हारुस्पाइसेस कहलाते थे, जो एक प्रकार के कॉलेजियम का हिस्सा थे। इसमें राजकीय पुरोहित के बजाय वेतनभोगी विशेष सलाहकार नियुक्त किए जाते थे। आधुनिक दौर में इसे धर्म का मानवविज्ञान भी कहा जाता है। हारुसपेक्स पद्धति के माध्यम से ही पूर्ण सूर्यग्रहण के बाद उगारिट शहर के भविष्य का अनुमान लगाया गया था।

पूर्ण सूर्यग्रहण के बाद उगारिट तबाह हो गया

उगारिट में भुखमरी एक बड़ी समस्या थी। 1200 से 1300 ईसा पूर्व के बीच मिले पुरातात्विक अवशेषों और लेखों के मुताबिक, उगारिट अकाल का सामना कर रहा था, जिसका कारण पौधों में फैली बीमारी थी। इसके चलते उगारिट में अनाज और खाने लायक चीजों की कमी हो गई।

मिस्र के फिरौन मेरेनप्ताह के एक खत में उगारिट शासक के एक संदेश का जिक्र मिलता है। उगारिट शासक ने लिखा, ‘हे राजा! उगारिट की जमीन पर गंभीर भूख का सामना करना पड़ रहा है। आप उगारिट के लोगों को बचाने के लिए भोजन भेजिए।’

1223 ईसा पूर्व का सूर्यग्रहण उगारिट और उसके पड़ोसी राज्यों के लिए सबसे खराब समय की निशानी बना। उगारिट में मिले अवशेषों का विश्लेषण कर जानकारों ने लिखा कि 1200 ईसा पूर्व के आसपास इस साम्राज्य का अचानक पतन हो गया। ये शहर समुद्री डाकुओं से परेशान था।

उगारिट के अंतिम शासक राजा अम्मुरापी ने पड़ोसी राजा को पत्र लिखा और अपने राज्य की रक्षा के लिए मदद मांगी। अम्मुरापी ने लिखा, ‘हे राजन! देखिए, शत्रु के जहाज इधर आएं हैं। मेरा शहर जला दिया गया है और वे मेरे देश में बुरे काम कर रहे हैं। शत्रुओं के सात जहाज आए और उन्होंने हमें बहुत नुकसान पहुंचाया।’

पड़ोसी राजाओं ने अम्मुरापी की मदद नहीं की और शानदार महलों, बंदरगाहों, इमारतों वाले उगारिट शहर का अधिकांश हिस्सा तबाह हो गया। उगारिट शहर को कभी दोबारा नहीं बसाया जा सका।

खंडहर में तब्दील हो चुके उगारिट साम्राज्य की मौजूदा स्थिति।

खंडहर में तब्दील हो चुके उगारिट साम्राज्य की मौजूदा स्थिति।

तो क्या ये दुनिया का पहला ज्ञात सूर्यग्रहण था?
उगारिट कैलेंडर से दुनिया के पहले पूर्ण सूर्यग्रहण के सुराग मिलते हैं। आधुनिक कैलेंडर के मुताबिक हियार महीना फरवरी के आखिरी और मार्च के शुरुआती दिनों में शुरू होता है। इसके मुताबिक, 5 मार्च 1223 ईसा पूर्व के दिन ही दुनिया के पहले सूर्यग्रहण के होने की संभावना है।

हालांकि, 1970 में एक स्टडी में दावा किया गया कि टैबलेट में 3 मई 1375 ईसा पूर्व के पूर्ण सूर्यग्रहण का जिक्र है, क्योंकि इसके लेखकों ने आधुनिक कैलेंडर पर अप्रैल के अंत और मई की शुरुआत में हियार महीने का मिलान किया था।

इन दोनों तर्कों के कारण दुनिया के पहले सूर्यग्रहण की तारीख का दावा नहीं किया जा सकता है, लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक, उगारिट के पूर्ण सूर्यग्रहण की तारीख 5 मार्च 1223 ईसा पूर्व मानी गई है।

पूर्ण सूर्य ग्रहण का पूरा खगोलीय घटनाक्रम।

पूर्ण सूर्य ग्रहण का पूरा खगोलीय घटनाक्रम।

मिस्र की घड़ी से पूर्ण सूर्यग्रहण की काल गणना
उगारिट ने सदियों तक मिस्र के साथ व्यापार किया और इसकी कला और मूर्तिकला से पता चलता है कि नील नदी की संस्कृति का उगारिट पर बहुत प्रभाव था। विशेषज्ञों ने पूर्ण सूर्यग्रहण की काल गणना के लिए मिस्र की घड़ी का इस्तेमाल किया।

मिस्र की घड़ी सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच दिन को दस घंटों में बांटती है, इसलिए छठा घंटा दोपहर 1:20 बजे के आसपास होगा, जो 5 मार्च, 1223 ईसा पूर्व के ग्रहण का गणना समय है।

इन सभी तथ्यों को एक साथ रखने पर खगोलीय मॉडल के आधार पर यह लिखा जा सकता है कि 5 मार्च 1223 ईसा पूर्व को दोपहर 1 बजकर 20 मिनट पर आकाश से सूर्य गायब हो गया और मंगल दिखाई देने लगा। नासा के मुताबिक, उगारिट पूर्ण सूर्यग्रहण का पीरियड 2 मिनट 7 सेकेंड का रहा होगा।

पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आने से सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना होती है। (तस्वीर: नासा)

पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आने से सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना होती है। (तस्वीर: नासा)

हर 18 महीने पर घटित होता है पूर्ण सूर्यग्रहण
8 अप्रैल 2024 को अमेरिका, मैक्सिको, कनाडा और उत्तरी अमेरिका के कई देशों में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। ऐसा नहीं है कि यह खगोलीय घटना पहली बार हो रही है। पृथ्वी पर हर 18 महीने में कहीं न कहीं पूर्ण सूर्य ग्रहण की घटना होती है। साथ ही पृथ्वी के किसी एक कोने पर यह घटना होने के लगभग 400 साल बाद दोबारा उसी जगह घटित होती है।

वहीं भारत में अगला सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण 21 मई 2031 को संभावित है। ये वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें लगभग 28% सूर्य ढंक जाएगा।

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