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क्या सरकारी गवाह बनेंगे गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश?:बोले- ओएसडी बनकर मलाई नहीं खाई, क्राइम ब्रांच का टॉर्चर सहा; पूर्व CM ने मेरा इस्तेमाल किया

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क्या सरकारी गवाह बनेंगे गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश?:बोले- ओएसडी बनकर मलाई नहीं खाई, क्राइम ब्रांच का टॉर्चर सहा; पूर्व CM ने मेरा इस्तेमाल किया

जयपुर

राजस्थान की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा के खुलासों के बाद फोन टैपिंग मामला सुर्खियों में है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अशोक गहलोत ने उन्हें ऑडियो क्लिप्स पेन ड्राइव में देकर वायरल करने को कहा था।

फिर इन ऑडियो क्लिप्स के आधार पर भाजपा पर सरकार गिराने के आरोप लगाए थे। इसके बाद कॉल कर सबूत मिटाने को कहा था, लेकिन मैंने उन्हें बचाकर रखा। अब वही सबूत दिल्ली क्राइम ब्रांच को सौंप दूंगा।

लोकेश शर्मा से कई सवाल किए। गहलोत ने उन्हें ओएसडी बनाया और वे गहलोत की खिलाफत कर रहे हैं? लोकसभा चुनाव के मौके पर ही खुलासे के पीछे क्या राज है? क्या वे सरकारी गवाह बनेंगे? पढ़िए लोकेश शर्मा का पूरा इंटरव्यू…

पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने बुधवार को कई बड़े खुलासे किए। मीडिया के सामने पेन ड्राइव दिखाते हुए।

पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने बुधवार को कई बड़े खुलासे किए। मीडिया के सामने पेन ड्राइव दिखाते हुए।

लोकसभा चुनाव के मौके पर अचानक फोन टैपिंग मामला आप मीडिया के सामने लेकर आए, क्या इसके पीछे बीजेपी का हाथ है?

लोकेश शर्मा : इसमें बीजेपी का कोई रोल नहीं है। मुझे लोकसभा चुनाव से भी कोई लेना देना नहीं है। मैं पिछले 6 महीने से विचलित हो रहा था। मुझे मजबूरन अब ये कदम उठाना पड़ा। मैं हर तरह के प्रेशर-टॉर्चर बर्दाश्त कर रहा था, लेकिन चुप रहा। आप सभी जानते हैं कि पिछले 3 वर्ष से दिल्ली के चक्कर लगा रहा हूं, दिल्ली क्राइम ब्रांच का टॉर्चर सहन कर रहा हूं।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुझे इस बात का भरोसा दिलाया था कि आप चिंता मत करो चाहे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े हम आपके साथ हैं। जब उन्होंने पूरी तरह किनारा कर लिया, तो फिर मैं इस बोझ को लेकर क्या करता।

फोन टैपिंग प्रकरण के मालिक अशोक गहलोत ही थे। मुझे सीएम हाउस बुलाकर उन्होंने पेन ड्राइव दी थी। मैंने उनके आदेश का पालन किया और ऑडियो क्लिप को मीडिया तक पहुंचाया। उनका (गहलोत) काम निकल गया और वह यह सोच रहे हैं कि उन्हें अब मेरी कोई आवश्यकता नहीं है। मुझे पूरी तरह से अकेला छोड़ दिया।

मेरा काम निर्देश की पालना करना था और फोन टैपिंग का काम मैंने नहीं किया, तो उसका बोझ लेकर मैं क्यों चलूं। मैं और मेरा परिवार मानसिक प्रताड़ना क्यों झेलें? बस इसी वजह से मैं परेशान हो गया, मुझे सच्चाई बताने का निर्णय लेना पड़ा।

…अकेले छोड़ दिया, क्या मतलब?

लोकेश शर्मा : बतौर ओएसडी मैंने पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के सभी आदेशों की पालना की। मुझे जो डायरेक्शंस दिए गए, मैं फोलो करता रहा। मैंने हर आदेश की पालना ड्यूटी समझकर निभाई। ऑडियो क्लिप भी उनके कहने से ही मीडिया तक पहुंचाई। जब तक उन्होंने (गहलोत) साथ दिया मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन आदमी अपना बचाव तो किसी न किसी स्थिति में जाकर करेगा ही।

गहलोत ने मुझे अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में अकेले छोड़ दिया और सोचा कि ये वापस निकलेगा ही नहीं। लेकिन मैंने उस चक्रव्यूह को तोड़ दिया और अपने जीवित रहने की वजह अपने पास बचा कर रखी। इसलिए मैंने पेन ड्राइव, लैपटॉप सहित अन्य दस्तावेज अपने पास सुरक्षित रखे। यही वजह है कि मैं अब आगे सरवाइव करने की स्थिति में हूं।

आपने पेन ड्राइव, लैपटॉप जैसे सबूत संभाल कर रखे, क्या पहले से शक था कि अकेला छोड़ देंगे?

लोकेश शर्मा : जिनके (गहलोत) साथ में काम कर रहा था उनके नेचर को तो मैं समझ ही चुका था। यह सही बात है कि गहलोत सिर्फ व्यक्ति को काम में लेना जानते हैं, लेकिन साथ देना नहीं जानते। वे लगातार मुझे सीख देते थे कि तू मेरी तरह सबको काम में लिया कर, लेकिन यह मुझे बहुत बाद में पता चला कि मैं खुद उनके काम में आ गया।

16 जुलाई 2020 को फोन टैपिंग वायरल हुए थे, इन्हें लोकेश शर्मा ने मीडिया में सर्कुलेट किया था।

16 जुलाई 2020 को फोन टैपिंग वायरल हुए थे, इन्हें लोकेश शर्मा ने मीडिया में सर्कुलेट किया था।

अब जिस व्यक्ति के ऐसे भाव ऐसे विचार हों, तो आप समझ सकते हैं कि वे क्या साथ देंगे। मैंने उनकी राजनीति का इतिहास देखा, महसूस किया कि यह अपने राइवल्स को या जो भी व्यक्ति उनके राजनीतिक दुश्मन हों, उसे किस तरह से निपटने का प्रयास करते हैं।

जब मैंने इनके स्वभाव को समझ लिया तो यह जरूरी था कि मैं अपने बचाव के लिए चीजें बचा कर रखूं। अब वही चीज मेरे काम आएंगी। वरना आप मुझ पर क्यों भरोसा करते कि मैंने फोन टैपिंग नहीं की। भविष्य में किसको क्या पता है कि मेरे खिलाफ क्या-क्या कार्रवाई होगी। अगर मेरे पास ये चीजें नहीं होती तो मुझे ही दोषी ठहरा दिया जाता।

फोन टैपिंग से मेरा कोई लेना देना नहीं है। मैं बहुत दिनों से कह रहा हूं कि मैंने केवल निर्देशों की पालना की है। मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत ने पेन ड्राइव में मुझे ऑडियो क्लिप दी और मैं मुझे कहा कि यह मीडिया में सर्कुलेट करूं। मैंने केवल अपनी ड्यूटी निभाई है।

क्राइम ब्रांच को आप ये सबूत कब देंगे?

लोकेश शर्मा : मैंने तो सारी चीजों को अपने पास बचाकर रखा है। अगर दिल्ली क्राइम ब्रांच मुझे फिर तलब करेगी और सवाल पूछेगी तो मैं जो सही है वह बताऊंगा। मैं जांच में सहयोग करते हुए सारी चीजें क्राइम ब्रांच को उपलब्ध करवाऊंगा। उनकी जांच में जो भी आवश्यक है, वह सब बताऊंगा।

मैंने सत्यता सभी के सामने लाकर रख दी है। फोन टैपिंग चाहे कानूनी थी या गैर कानूनी थी। जो हुआ मुख्यमंत्री के कहने से हुआ। मुझे जो डायरेक्शन दिए जा रहे थे मैं उनको फॉलो कर रहा था।

सरकार में फोन टैपिंग प्रक्रिया किस विभाग के अधीन होती है, सभी जानते हैं। गृह विभाग के तहत सारी मशीनरी काम करती है। गृह मंत्री खुद अशोक गहलोत थे, उन्हीं के आदेश से इंटरसेप्शन (फोन टैपिंग) हुआ। इसके बाद क्लिप को मुझे पेन ड्राइव के माध्यम से दिया गया और सर्कुलेट के लिए कहा गया।

गहलोत के कहने पर भी पैन ड्राइव-लैपटॉप डिस्ट्रॉय नहीं किया, उल्टा उनकी वॉट्सऐप कॉल को रिकॉर्ड किया, ये नौबत कैसे आई?

लोकेश शर्मा : यह नौबत ऐसे ही नहीं आई। हमें अपने बचाव के लिए कुछ न कुछ रखना होता है। यदि मैं ऐसी चीज अपने पास नहीं रखता तो क्या आप यह मानते कि मैंने फोन टैपिंग नहीं की। मैं अपना बचाव कैसे करता।

गहलोत ने मुझे बार-बार पूछा कि क्या पेन ड्राइव को नष्ट कर दी? क्या लैपटॉप दूसरे राज्य में भेज दिया या बेच दिया? गहलोत ने यहां तक कहा कि लैपटॉप मुझे दे दो मैं तुम्हें नया दे दूंगा। यही नहीं, बहुत सारी बातें हुई हैं डिटेल में। मुझे कहा गया 200 परसेंट आपने डिस्ट्रॉय कर दिया ना सब कुछ।

जब आशंकाएं होती हैं तो भविष्य को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी होती है। मैंने अपने बचाव के लिए सब कुछ किया। मुझे उलझाया गया, मुझे फंसाया गया है। यदि आज मेरे पास यह सब सबूत नहीं होते तो लोगों की नजरों में और कानून की नजरों में यह सारा कुछ मेरा किया कराया माना जाता और मेरे पास कोई इसका जवाब नहीं होता।

क्या आपको पता था कि पेन ड्राइव में क्या है और इन्हें वायरल करने से भविष्य में कोई संकट खड़ा हो जाएगा?

लोकेश शर्मा : पहले तो मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि ऑडियो क्लिप वायरल करने से कोई बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। मुझे मुख्यमंत्री निवास बुलाकर खुद मुख्यमंत्री ने पेन ड्राइव दी। मुझे सीएम ने ये काम कहकर करवाया इसलिए जिम्मेदारी उनकी है। सही बात तो यह है कि जब मुझे ऑडियो क्लिप पेन ड्राइव में दी गईं, तो मुझे पता ही नहीं था कि अंदर है क्या? क्लिप के किस संबंध में ये, ये मीडिया में चलने के बाद पता चला?

मैं यह कभी नहीं सोच सकता था कि मुख्यमंत्री के कहने से मेरे ऊपर एसओजी की रेड तक हो जाएगी। मैंने मुख्यमंत्री को कह दिया था कि मैने सबूत डिस्ट्रॉय कर दिए हैं, लेकिन उन्होंने मुझ पर भी भरोसा नहीं किया। कोई ना कोई वजह रही होगी। एसओजी ने रेड के दौरान मेरे पूरे ऑफिस में डिवाइस ढूंढे। पता किया गया कि क्या वह डिस्ट्रॉय हुए हैं या नहीं हुए। जब मेरे ऑफिस में इस तरीके की हरकत हो सकती है, तो आप समझ सकते हैं कि क्या-क्या संभव रहा होगा।

लोकेश शर्मा का आरोप है कि गहलोत ने उन ऑडियो का इस्तेमाल कर सचिन पायलट के खिलाफ षड्यंत्र रचा था। साथ ही भाजपा पर सरकार गिराने के आरोप लगाए थे

लोकेश शर्मा का आरोप है कि गहलोत ने उन ऑडियो का इस्तेमाल कर सचिन पायलट के खिलाफ षड्यंत्र रचा था। साथ ही भाजपा पर सरकार गिराने के आरोप लगाए थे

विधानसभा चुनाव में टिकट मांगा था, नहीं मिला…क्या उसी वजह से तो ये खुलासा नहीं कर रहे?

लोकेश शर्मा : यह पूरी तरह से गलत है कि टिकट नहीं मिलने से मैंने यह काम किया है। मैं एक राजनीतिक व्यक्ति हूं और जो भी व्यक्ति सक्रिय राजनीति में रहता है, उसे टिकट की लालसा रहती है। टिकट मांगना मेरा अधिकार था, मैंने टिकट मांगा था।

मुझे पार्टी ने टिकट नहीं दिया, पार्टी जिसे उचित समझती है, उसे टिकट देती है। इस घटना को टिकट मिलने से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। पार्टी आज भी मुझे जो जिम्मेदारी देना चाहे दे, मैं निभाऊंगा। चाहे पद देकर या कोई पद नहीं हो, तो भी मुझे कोई जिम्मेदारी दी जाती है, तो उसे पूरा करूंगा।

क्या आप भी कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में जाने वाले हैं?

लोकेश शर्मा : देखिए चर्चाओं पर तो कोई विराम लग नहीं सकता। किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के किसी दूसरे विचारधारा वाले व्यक्तियों से मिलना चर्चा का कारण बन जाता है। बीजेपी के लोकसभा चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे मेरे पुराने परिचित हैं। मेरी उनसे मुलाकात हुई और उन्हीं के साथ मेरी मुख्यमंत्री (भजनलाल शर्मा) से भी मुलाकात हुई, लेकिन विषय अलग-अलग हैं।

मेरा भाजपा में जाने का कोई इरादा नहीं है। मैं बीजेपी में शामिल नहीं होने वाला। मेरा उस पार्टी से कोई कोई लेन देन नहीं था और न है। मेरी बीजेपी में जाने की कोई इच्छा भी नहीं है।

विधानसभा चुनाव से पहले आप सचिन पायलट से मिलने उनके निवास भी गए थे?

लोकेश शर्मा : हां, सचिन पायलट से में मिलने गया था, लेकिन इसका कारण सियासी संकट नहीं था। उस मुलाकात का फोन टैपिंग से कोई लेना देना नहीं था। पायलट से मेरी मुलाकात कांग्रेस पार्टी के अन्य विषय पर हुई थी। हां, इतना जरूर है कि मैंने उनके सामने भी खुद के लिए चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। मैंने उन्हें बताया था कि मैं टिकट मांग रहा हूं।

दिल्ली क्राइम ब्रांच आपसे एक ही सवाल कर रही है कि किसके कहने पर फोन टैपिंग हुई, अब क्या आप सरकारी गवाह बनने वाले हैं?

लोकेश शर्मा : देखिए, जब भी क्राइम ब्रांच ने मुझे बुलाया, तो मुझे वकीलों के जरिए बताया जाता था कि मुझे क्या बोलना है। मुझे जो बोला या समझाया जा रहा था, वही मैं क्राइम ब्रांच के सवालों को लेकर जवाब दे रहा था।

मैंने आपसे कहा है कि जो बातें मैंने कही हैं, वह दिल्ली क्राइम ब्रांच के सामने भी रखूंगा। अब चाहे वह मेरे दिए तथ्यों को कैसे भी इस्तेमाल करे या मुझे गवाह के रूप में काम में लें। मैं दिल्ली क्राइम ब्रांच की जांच में पूरा सहयोग करूंगा। जो भी मेरे पास उपलब्ध है उन्हें सब कुछ सौंप दूंगा।

आपके लिए लोग कहते हैं कि 5 साल मलाई खाई और अब गहलोत की ही खिलाफत करने लगे?

लोकेश शर्मा : जो लोग ये कहते हैं, वे आधा-अधूरा ज्ञान रखते हैं। जब 2013 में सरकार चली गई थी और उस वक्त कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी। जब उनके (गहलोत) पास दो व्यक्ति खड़े रहने को तैयार नहीं थे तब हम वहां खड़े थे और हमने उस पूरे सिस्टम को खड़ा किया। उनके लिए वापस स्पेस तैयार करवाया। जितने डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग हो रहा है, उनको मैंने ही क्रिएट किया और तैयार किया। लाखों फॉलोअर्स जुटाए। अब उन पर प्राइवेट एजेंसियां रील डाल रही हैं।

जब 2018 में चुनाव जीत गए और उसके बाद मुख्यमंत्री ने ओएसडी बनाया, तो मेरे ऊपर कोई अहसान नहीं किया। उसके पीछे सालों की मेहनत थी। सरकार बनाने में हमने अपनी भूमिका अदा की, ये उस कड़ी मेहनत का परिणाम था।

उन्होंने मुझे ओएसडी का झुनझुना पकड़ा दिया। मैं तो पूरी तरह से पॉलिटिकल व्यक्ति था। मेरा हक किसी राजनीतिक नियुक्ति पर बनता था, लेकिन मैंने ओएसडी का पद भी स्वीकारा और पूरी निष्ठा के साथ काम किया।

मैं सबको यह बताना चाहता हूं कि मैं किसी के खिलाफ नहीं बोल रहा हूं, मैंने सच को उजागर किया। मैंने अपने परिवार के लिए कोई उद्योग-धंधे और फैक्ट्रियां खड़ी नहीं कीं। कोई एडवांटेज नहीं लिया। चैलेंज कर सकता हूं बहुत से लोग हैं जिनके बारे में सबको पता है कि किसने कहां रिसोर्ट बनाए, किसने कितने इकट्ठे किए।

मैं तो पिछले 3 साल से दिल्ली के चक्कर लगा रहा हूं और क्राइम ब्रांच में 8-8 या 9-9 घंटे बैठ रहा हूं। उसे मलाई खाना कहते हैं तो भगवान ऐसी मलाई सबको दे।

समझिए पूरा मामला?

पायलट सहित विधायकों के फोन सर्विलांस पर थे : लोकेश

लोकेश शर्मा ने एक दिन पहले 2020 के फोन टैपिंग मामले में मीडिया के सामने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि 16 जुलाई 2020 को तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत होटल फेयरमोंट आए थे। उनके होटल से निकलने के एक घंटे बाद मेरे पास गहलोत के पीएसओ रहे रामनिवास का कॉल आया था। कहा था- सीएम ने आपको बुलाया है। मैं पिंक हाउस पहुंचा तो गहलोत जी मेरा इंतजार कर रहे थे। गहलोत ने मुझे एक प्रिंटेड कागज और एक पेन ड्राइव दी। उसमें तीन ऑडियो क्लिप थी, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात थी।

लोकेश शर्मा ने कहा कि ऑडियो को वायरल करने के बाद भी, जब तक खबर नहीं आई गहलोत ने मुझे दो बार वॉट्सऐप कॉल कर पूछा न्यूज में चला क्यों नहीं। जैसे ही खबर आई तो मुझे पता चला कि ऑडियो क्लिप में क्या है। मुझे सिर्फ डायरेक्शन दिए गए, जिसकी मैंने पालना की थी।

लोकेश शर्मा ने कहा कि जैसे ही अशोक गहलोत को पता चला कि पायलट कुछ विधायकों के साथ आलाकमान से मिलने जा रहे हैं, उन्होंने सारा षड्यंत्र रचा था। जो लोग उनके (सचिन पायलट) साथ गए थे, उनके फोन सर्विलांस पर थे। सभी को ट्रैक किया जा रहा था। इसमें पायलट भी शामिल थे। सभी का मूवमेंट पता किया जा रहा था।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टैपिंग मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच में मुकदमा दर्ज करवाया था।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टैपिंग मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच में मुकदमा दर्ज करवाया था।

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने करवाया था दिल्ली क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज

इसके बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली पुलिस में परिवाद देकर जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया था। जिस पर 25 मार्च 2021 को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने लोकेश शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया था। लोकेश शर्मा की ओर से 2020 में मीडिया को भेजे गए ऑडियो क्लिप्स में कथित तौर पर आवाजें शेखावत, तत्कालीन विधायक भंवर लाल शर्मा की बताई गई थीं।

इस एफआईआर के खिलाफ लोकेश शर्मा दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे थे। आज भी उनकी याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। इस दौरान करीब आधा दर्जन बार दिल्ली क्राइम ब्रांच लोकेश शर्मा से पूछताछ कर चुकी है। लोकेश शर्मा इस एफआईआर को रद्द करने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में केस लड़ रहे हैं।

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