डॉ. सुरेन्द्र कुमार शर्मा
अध्येता – पं. मधुसूदन ओझा साहित्य एवं लिपि विशेषज्ञ
समन्वयक – पाण्डुलिपि संसाधन केन्द्र, वैदिक हेरिटेज एवं पाण्डुलिपि शोध संस्थान,
राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर
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बीकानेर। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन दिल्ली की ग्रंथ संरक्षण योजना के तहत राजस्थान संस्कृत अकादमी जयपुर के निर्देशन में विश्वगुरु दीप आश्रम जयपुर द्वारा कराये जा रहे कार्यों में अब तक 20000 ग्रंथों पर कार्य किया है जिसमें आयुर्वेद शास्त्र के हजारों की संख्या में अति प्राचीन दुर्लभ ग्रंथ मिले हैं ,पांडुलिपि समन्वयक डॉ. सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि यह ग्रंथ अति प्राचीन दुर्लभ प्रकाशित हैं जिन पर कार्य कराया जाना अति आवश्यक है 2 लाख के लगभग ग्रंथों के भंडार में 5 से 7 हजार केवल आयुर्वेद शास्त्र के ग्रंथ पाए जाने का अनुमान है। जिसमें रसायन निर्माण, औषध निर्माण, प्रशिक्षण में कई प्राचीन आचार्य के ग्रंथ ,वैद्यक ग्रंथ इसमें निहित हैं ।डॉ. शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के पांडुलिपि विभाग को निरीक्षण हेतु ग्रंथों के बारे में अवगत कराया जिस पर शोधार्थियों व नोडल अधिकारी ने प्रसन्नता व्यक्त की इस कार्य को मोहित बिस्सा , लव कुमार देराश्री, नवरत्न चोपड़ा, विजयलक्ष्मी स्वामी तथा लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा किया जा रहा है I
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