नकली-नोटों का ठग, खुले रुपए मांगता और नकली थमा देता:3 साल से छाप रहा था फेक करेंसी, पहले 500 फिर 200 का नोट निकाला; बंगाल से जुड़े हो सकते हैं तार
जोधपुर
नकली नोट मामले में पकड़े गए आरोपी से पुलिस को इसके तार बंगाल से जुड़े होने का शक है। अब तक की पूछताछ में सामने आया कि यह 3 सालों से नकली नोट चला रहा था। कभी खुल्ले रुपयों के बहाने तो कभी परचूनी का सामान लेने के लिए यह नोट बाजार में खपा देता।
आरोपी शाम के समय फुटकर व्यापारियों और दुकानों के इर्द-गिर्द घूम कर रेकी करता। पहले 500 के नोट खपाए इसके बाद जब किसी को शक नहीं हुआ तो 200 के नोट भी छापने शुरू कर दिए। आरोपी ने आसपास के 8 से 10 गांवों में लगभग लाखों के नोट खपाए हैं। अब जैसे ही इसके पकड़े जाने की सूचना लोगों को मिलने लगी वे अब पुलिस के सामने आने लगे हैं।
यह था मामला
एडिशनल एसपी भोपाल सिंह ने बताया- इंटेलिजेंस की सूचना पर 9 जून को ओसियां थाना इलाके (जोधपुर) के बागड़वा की ढाणी महादेव नगर चिराई निवासी बाबू राम पुत्र धोकल राम बागड़वा बिश्नोई को घर से दबिश देकर पकड़ा था। आसपास के गांवों से पुलिस को सूचना मिल रही थी कि एक व्यक्ति व्यापारियों को धोखे से नकली नोट दे रहा है। ऐसे में बाबू राम के बारे में इंटेलिजेंस से इनपुट मिला। सुबह 10 बजे इसके घर पर दबिश दी तो वहां से नकली नोट बनाने की सामग्री मिली। जिसमें स्कैनर, रंगीन प्रिंटर, कागज की रिम और कागज के कट्टर आदि साथ में मिले। इस दौरान 500 के 56 नोट और 200 के दो नोट सहित कुल 28 हजार 400 की जाली मुद्रा पकड़ी गई। इसके बाद सोमवार को कोर्ट में पेश कर आरोपी को 4 दिन की रिमांड पर लिया गया है।
पुलिस ने इंटेलिजेंस की सूचना पर बाबूराम को रविवार को घर से गिरफ्तार किया था।
खेती में मुनाफा घटा तो महाराष्ट्र गया
जोधपुर ग्रामीण पुलिस की स्पेशल टीम के ASI अमनाराम ने बताया कि बाबूराम से पूछताछ में सामने आया- वह चिराई गांव में ही खेती का काम करता है। खेती में कम मुनाफा होने की वजह से आरोपी 5 साल पहले महाराष्ट्र गया था। जहां पर सिलेंडर सप्लाई हॉकर का काम करता था, लेकिन यहां भी मुनाफा कुछ खास नहीं हुआ तो कुछ और काम करने का सोची।
मुंबई की लाइफस्टाइल से प्रेरित था
उसने बताया कि वह अमीर बनना चाहता था उसे लग्जरी गाड़ियों और बड़े शहरों में घूमने का शौक था। वह मुंबई की लाइफस्टाइल से भी प्रेरित था। इस दौरान उसने सोशल मीडिया पर नकली नोट बनाने का वीडियो देखा। इसके बाद इसे आइडिया आया कि गांव में जाकर भोले-भाले लोगों के बीच ये नोट चलाए जा सकते हैं।
पूछताछ में सामने आया कि उसने इसके प्रोसेस में काम आने वाली चीजों के बारे में सर्च किया। इसके बाद इंदौर से प्रिंटर खरीदा था और महाराष्ट्र से हूबहू नोट की तरह दिखने वाले कागज खरीदे थे। जिसे लेकर वह गांव आ गया।
जोधपुर ग्रामीण ओसियां थाने को इंटेलिजेंस से इनपुट था कि पिछले 7-8 महीनों से एक युवक दुकानों पर नकली नोट दे रहा है।
पहले 500 फिर 200 के नोट प्रिंट किए
पूछताछ में सामने आया- यहां से ही सबसे पहले 500 रुपए के नोट तैयार किए। इस नोट को आरोपी ने गांव के ही आसपास के बाजार में खाने-पीने के सामान खरीदने में खर्च किए। यह कभी खाद-बीज तो कभी घर की परचूनी का सामान खरीद लेता। जब यह नोट बाजार में चलने लगे तो आरोपी ने इसके अलावा 200 के नोट छापने भी शुरू किया धीमे-धीमे आसपास के कई गांव तक आरोपी नोटों को चलाने लगा।
खुल्ले पैसे मांगता और नकली नोट पकड़ा देता
पूछताछ में सामने आया कि आरोपी इतना शातिर था कि अपने नकली नोट चलाने के लिए उन जगहों पर बैठा रहता था जहां पर लोग फुटकर व्यापार करते हैं। वहां के लोगों से खुले पैसे लेने के नाम पर 500 के नकली नोट थमा देता था। ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से कोई शक भी नहीं कर पता था। खास बात यह थी आरोपी इन नोटों को ज्यादा कर शाम के समय अंधेरे में ही चलाता था।
यह है वो प्रिंटर और नकली नोट जो पुलिस ने आरोपी के घर से जब्त किए हैं।
पूछताछ में खुलेंगे कई राज
पुलिस आरोपी से चार दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। पुलिस अब यह खंगालने में जुटी है कि कहीं इसके तार पश्चिम बंगाल के नकली नोटों के सौदागरों से तो नहीं जुड़े। नकली नोट के मामले में आरोपी के पकड़ में आने के बाद अब कई ऐसे पीड़ित भी सामने आने लगे हैं जिन्हें आरोपी ने नकली नोट थमाए थे।
आरोपी को गिरफ्तार करने में जिला जोधपुर ग्रामीण की टीम से ओसियां थाना अधिकारी राजेश कुमार गजराज, सहायक उप निरीक्षक अमानाराम, सेठाराम बिश्नोई, किशोर दुक्तावा, किशनाराम पूनिया, रवि प्रकाश, महिला कॉन्स्टेबल जस्सी, नाथूराम, राम प्रकाश, घेवरराम, हसराम, रामी, रामनिवास, राजेंद्रसिंह, मोहनसिंह, बाबूलाल शामिल रहे।
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