किसने लीक की मंत्री की चिट्ठी?:महिला उम्मीदवार रिजल्ट से पहले ही सांसद घोषित! दो बड़े अफसरों का कोल्ड वॉर
जयपुर
- हर शनिवार पढ़िए और सुनिए- ब्यूरोक्रेसी, राजनीति से जुड़े अनसुने किस्से
सत्ता मिलने के बाद उसे लेकर हर तरफ उम्मीदें बढ़ जाती हैं। छह महीने का शुरुआती वक्त ही सरकार में बैठे बड़े लोगों कर पर्सेप्शन बनाता है और बिगाड़ता है।
सत्ता वाली पार्टी के विधायकों ने मंत्रियों का आंकलन शुरू कर दिया है। पिछले दिनों मारवाड़ और हाड़ौती के कुछ विधायकों ने प्रदेश के मुखिया से मिलकर हाईप्रोफाइल विभागधारी की शिकायत की।
दुख यह था कि सरकार में जिम्मेदारी मिलने के बाद से काम करना तो दूर फोन तक नहीं उठाया। अब जिनकी शिकायत की है, उन्हें प्रदेश के मुखिया कितना दूर कर पाएंगे, इसका इंतजार हो रहा है। सत्ता वाली पार्टी के कई असंतुष्ट आचार संहिता हटने का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ऐसे कई घटनाक्रम होने की संभावना है, क्योंकि शिकायतें बहुत हैं।
लीक हो गई मंत्रीजी की शिकायत
गोपनीयता और सरकार का चोली दामन का साथ है। राज के राज़ बाहर आने से रोकने की हर दौर में कोशिश होती है, लेकिन मौजूदा दौर में यह संभव नहीं है।
पिछले दिनों बिजली वाले मंत्रीजी ने स्वास्थ्य वाले मंत्रीजी को चिट्ठी लिखकर संभाग के बड़े अस्पताल की दुर्दशा सुधारने की मांग की। मंत्रीजी ने अस्पताल की कमियों पर खींचकर लिखा था।
मंत्रीजी की यह चिट्ठी सार्वजनिक हो गई। अब खुद की सरकार में मंत्री ही जब दूसरे महकमे के कामकाज पर सवाल उठाए तो विपक्ष को तो बैठे बैठाए मुद्दा मिलेगा ही।
महिला उम्मीदवार रिजल्ट से पहले ही सांसद घोषित!
सियासत में रहने वालों को हर कदम सोच समझकर उठाना पड़ता है। नेता ही नहीं उनके समर्थकों का किया धराया भी कई बार खुद ही झेलना होता है।
पिछले दिनों सत्ता वाली पार्टी की राजधानी से महिला उम्मीदवार के समर्थकों ने कुछ डिजिटल पोस्टर सोशल मीडिया पर शेयर किए। अति उत्साही समर्थकों ने उम्मीदवार का पदनाम सांसद लिख दिया।
अभी तो रिजल्ट आने में काफी वक्त है, ऐसी भी क्या जलदबाजी? माना कि राजधानी में सत्तावाली पार्टी के उम्मीदवार का अपर हैंड माना जा रहा है लेकिन रिजल्ट तो आने दीजिए। समर्थकों की जल्दबाजी से बेवजह ही बात बन गई, इसीलिए तो कहते हैं भोला दोस्त भी कई बार दुश्मन बराबर हो जाता है।
बड़े उद्योगपति ने किन बड़े अफसरों की सिफारिश की?
सत्ता में मंत्रियों के साथ ही ब्यूरोक्रेसी के बड़े पदों की भी उतनी ही अहमियत है, आखिर काम करने का रास्ता तो वे ही तैयार करते हैं। सत्ता के गलियारों में इन दिनों पावर गेम की कई चर्चाएं सुनने में आ रही हैं। देश के एक चर्चित उद्योगपति की सिफारिश को लेकर गलियारों में जितने मुंह, उतनी बातें हो रही हैं।
जानकारों का दावा है कि बड़े उद्योगपति ने बड़ी जगह पर कुछ आईएएस अफसरों का ध्यान रखने की सिफारिश की है। कुछ आईएएस की उद्योगपति से मुलाकात की भी खबरें हैं।
अब बड़े लोगों का इशारा ही काफी होता है। जिन अफसरों के बारे में बड़े उद्योगपति ने ध्यान रखने की सिफारिश की उनमें से कुछ पिछले राज में भी ठीक ठाक पदों पर थे। आगे इस सिफारिश का असर भी दिख सकता है।
मंत्री तक यूनियन लीडर का खौफ, इंस्पेक्टर का दबदबा
प्राइवेट सेक्टर में हड़ताल और ट्रेड यूनियन का भले ही दबदबा कम हुआ हो लेकिन लेकिन शहरी सरकार में तो यूनियन का ही दबदबा है। राजधानी के नगर निगम में एक सेनेट्री इंस्पेक्टर को सब मनाकर रखते हैं। महकमे के मंत्री तक इस इंस्पेक्टर से बनाकर ही चलने में भलाई समझते हैं।
पिछले दिनों जब इस दबदबे की चर्चा शुरू हुई तो इसका कारण भी सामने आ गया। दरअसल सेनेटरी इंस्पेक्टर सफाई कर्मचारियों की यूनियन के अध्यक्ष हैं, वे चाहें तो राजस्थान भर में सफाई रुकवा सकते हैं। बस इसी कुव्वत के कारण दबदबा कायम है।
दो बड़े अफसरों का कोल्ड वॉर
सत्ता के सबसे बड़े दफ्तर में आईएएस अफसरों के बदलाव से पहले कई तरह के समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। ब्यूरोक्रेसी के मुखिया कई अफसरों पर नाराज बताए जा रहे हैं।
कुछ के साथ कोल्ड वॉर शुरू होने की भी चर्चाएं हैं। एक बड़े अफसर तो बैठकों तक में आने से बच रहे बताए, इस बात को लेकर तनातनी के भी चर्चे हैं।
इस कोल्ड वॉर का अंत तभी होगा जब आईएएस अफसरों की तबादला लिस्ट आएगी। तबादला लिस्ट लगभग तैयार बताई जा रही है।
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