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रिलेशनशिप- विराट ने वर्ल्डकप जीत का श्रेय दिया अनुष्का को:पार्टनर को अपनी सफलता में शामिल करना है रिश्ते की सफलता का राज

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रिलेशनशिप- विराट ने वर्ल्डकप जीत का श्रेय दिया अनुष्का को:पार्टनर को अपनी सफलता में शामिल करना है रिश्ते की सफलता का राज

स्टार क्रिकेटर विराट कोहली T-20 वर्ल्डकप के फाइनल में अपने विराट रूप में नजर आए। फाइनल मैच में कोहली ने 76 रन की पारी खेली और मैन ऑफ द मैच बने। इधर, टीम इंडिया का खिताबी सूखा खत्म हुआ और वर्ल्डकप घर आया।

अब कोहली ने इस जीत का श्रेय अपनी वाइफ अनुष्का शर्मा को दिया है। इंस्टाग्राम की एक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि ‘ये सबकुछ तुम्हारे प्यार के बिना बिल्कुल संभव नहीं था। तुमने मुझे विनम्र रहना और जमीन से जुड़े रहना सिखाया है। मैं खुद को बेहद खुशनसीब मानता हूं कि मुझे तुम मिली। ये जीत जितनी मेरी है, उतनी ही तुम्हारी भी है। थैंक यू। मैं तुम्हें बेहद प्यार करता हूं क्योंकि तुम रियल हो।’

अनुष्का शर्मा न तो क्रिकेटर हैं और न ही क्रिकेट एक्सपर्ट। बावजूद इसके कोहली ने अपनी जीत का श्रेय उन्हें क्यों दिया? क्रिकेटर कोहली की सफलता में अनुष्का की क्या भूमिका है?

सरसरी निगाह से देखने पर शायद विराट की जीत में अनुष्का की खास भूमिका नजर न आए। लेकिन रिश्तों की गहराई में उतरकर देखेंगे तो सफलता में पार्टनर को साझीदार बनाना जरूरी नजर आता है। आज रिलेशनशिप कॉलम में इसी साझीदारी की बात करेंगे।

रिसर्च में दावा- सपोर्टिव हो पार्टनर तो बढ़ती सफल होने की संभावना

साल 2018 में अमेरिका की कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी (Carnegie Mellon University) में एक रिसर्च हुई। मनोविज्ञान की इस रिसर्च के लिए 163 शादीशुदा जोड़ों को चुना गया और लंबे वक्त तक उनके रिश्ते और करियर की निगरानी की गई।

नतीजे में पाया गया कि जिन लोगों के पार्टनर (मेल या फीमेल) उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से सपोर्ट करते हैं, उनके सफल होने की दर काफी ज्यादा होती है। पार्टनर चाहे किसी भी फील्ड में काम कर रहा हो, अगर दूसरा पार्टनर उसे समय-समय पर प्रोत्साहित करता रहे तो इससे पार्टनर की जिंदगी, करियर और दोनों के रिश्ते पर काफी पॉजिटिव असर पड़ता है।

जरूरी नहीं कि प्यार में सपना एक ही हो

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा का ही उदाहरण लेते हैं। एक ओर जहां अनुष्का बॉलीवुड में नाम कमा रही हैं। वहीं कोहली क्रिकेट की दुनिया के बादशाह हैं। दोनों के करियर की दिशा बिल्कुल अलग-अलग है। बावजूद इसके दोनों एक-दूसरे के करियर में सफलता की बड़ी वजह हैं।

रिलेशनशिप कोच डॉ. अंजलि बताती हैं कि यह जरूरी नहीं कि रिश्ते में दोनों पार्टनर एक ही लक्ष्य रखें या एक के सपने को पूरा करने के लिए दूसरा अपने सपनों को भूल जाए। यहां जरूरी यह है कि अपने-अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए अपने पार्टनर के लक्ष्य को भी अपना मानें। सफलता और असफलता में मजबूती से साथ खड़े हों।

यही टीम और साझीदारी की भावना दो दिलों को करीब लाती है। उनका रिश्ता मजबूत होता है। दूसरी ओर, दोनों पार्टनर्स अपने करियर में भी आगे बढ़ते जाते हैं।

पार्टनर को सफलता का श्रेय देना इसलिए है जरूरी

जानी-मानी अमेरिकी मनोचिकित्सक एमिली एच. सैंडर्स की मानें तो प्यार जितना है, उतना ही महसूस होगा, लेकिन तब जब उसे पार्टनर के सामने जाहिर करेंगे। प्यार दिखाएंगे तो पार्टनर उसे निखारकर वापस करेगा। वह बदले में ज्यादा प्यार दिखाएगा। ये सिलसिला चलता रहेगा और रिश्ते की बॉन्डिंग मजबूत होती जाएगी।

एमिली प्यार दिखाने, प्यार में शुक्रिया अदा करने, सफलता में पार्टनर को साझीदार बनाने और उनके दुख में शरीक होने को हेल्दी रिलेशनशिप की जान बताती हैं। उनकी मानें तो प्यार दिखाने से वह धीरे-धीरे बढ़ता जाता है।

पत्नी की वजह से राष्ट्रपति बन पाए बराक ओबामा

अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा अपनी राजनीतिक सफलता का पूरा श्रेय अपनी पत्नी मिशेल ओबामा को देते हैं। साल 2011 में एक इंटरव्यू में ओबामा ने बताया कि आज वे जो कुछ भी हैं, सिर्फ और सिर्फ मिशेल की वजह से हैं। उनके बिना वे शायद कुछ भी नहीं कर पाते।

इसी तरह फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग भी अपनी तरक्की की वजह अपनी वाइफ प्रिसिला चान को मानते हैं।

कैसे बनें सपोर्टिव पार्टनर, इसके लिए क्या करना होगा?

विराट-अनुष्का, मिशेल-ओबामा और जुकरबर्ग-चान की कहानी पढ़ने के बाद प्रेरित होना स्वभाविक है। लेकिन सपोर्टिव बना कैसे जाए, इसके लिए क्या करना होगा? और हमारी कौन सी बातें पार्टनर को हमारे मजबूत साथ का एहसास करा सकती हैं? इसके लिए ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के ये टिप्स मददगार साबित हो सकते हैं-

पार्टनर जैसा है, उसे उसी रूप में स्वीकार करें

कई बार रिश्ते में पार्टनर्स एक-दूसरे की कमियां निकालकर उसे सुधारने की कोशिश करते हैं। अपनी शर्तों और पैमानों के अनुसार वो पार्टनर को ढालना चाहते हैं। लेकिन यह अप्रोच न रिश्ते के लिए सही है और न ही पार्टनर के करियर के लिए। बेहतर यही है कि पार्टनर को उसके मूल रूप में स्वीकारते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।

हालांकि इस दौरान क्रिएटिव क्रिटिसिज्म का सहारा ले सकते हैं। यानी पार्टनर से उसकी मजबूती और कमजोरी के बारे में बात कर सकते हैं। साथ ही कमजोरी को दूर करने के बारे में कोई सलाह भी दे सकते हैं।

मुश्किलों में साथ खड़े हों

जिंदगी के हर मोड़ पर पार्टनर को एहसास कराएं कि कोई है, जो उसके साथ हर परिस्थिति में खड़ा रहने वाला है। खासतौर से मुश्किलों में। साथ का यही भाव पार्टनर को बड़े से बड़ा काम करने की ताकत दे सकता है।

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